परिवार नियोजन पर कविता

नियोजन हो परिवार का 

नियोजन हो, परिवार का,
 परिवार हो,नियोजन का,
 बच्चे दो ही अच्छे ,
 अच्छे बच्चे दो ही सच्चे,
 सच्चे-अच्छे दो ही बच्चे,
 अंतर-भेद ना हो कच्चे,
 कच्चे ना होते,अच्छे सच्चे,
 बच्ची-बच्चा दोनों अच्छे,
 फिर भी,
 

परिवार नियोजन पर कविता

जब देखता,
 उस घर आंगन को,
 जो बेटी बिन सूना सूना,
 और,
 बेटे की डगमग-डगमग चाल देख,
 हर्षे परिवार-नियोजन-सयाना,
 जब भी देखता,
 उन मां-बाप को,
जहां एक बेटे पर ही,
परिवार-नियोजन का बहाना,
और,
दूसरों की बेटियों की,
फिर घर में,
बहू के रूप में,
चाहत लगाना,
और,
(कहना बेटी वाले पिता से)
मेरा घर सबसे अच्छा,
रिश्ता जोड़ो आपकी बेटी का,
आराम से रहेगी,
कोई नहीं झंझट,(,जीवन-रस को झंझट मानना),
जेठानी,देवरानी का,
मेरा एक ही लड़का,
बड़ा सयाना-(मेरे जैसा ही)
मेरी संपूर्ण जायदाद,फिर,
मेरे बेटे और आपकी बेटी की,
और,
आपके भी एक ही लड़की,
(मन ही मन बेटी वाला पिता),
बेटी वाला समझा,
मैंने भी,
तो परिवार नियोजन किया,
पहली बार पाकर घर में एक बेटी को,
आगे बढ़ता,
डर लगता,
जैसे अंधेरे में जाता पांव गहरे गड्ढे में,
एक और बेटी का जन्म हो जाता तो,
या,
जन्म हो गया होता,
इतना अच्छा रिश्ता,
फिर नहीं मिलता,
या,
मिलेगा,
कितना डर बेटी वाले के नियोजन में,
कितना लोभ-लालच बेटे वाले के नियोजन में,
होता नियोजन समानता का,
डर भी मिटता,लालच भी,
होता घर सपनों का,अपना-सा,
ना मिटते ख्वाब बेटी के,
अपनों में,
ना टूटते बंधन,
बेटी के अपनों से, परायो में,
न लगता डर,
बेटी को घर,
अपना ही,
लगता जब घर,
होता परिवार- नियोजन,
न होता बेटों में,
बेटी का नियोजन,
होता घर अपनों का अपना सा…

                        



                          
– डॉ.अनिल मीणा (व्याख्याता- हिंदी ),

                          मोबाइल नंबर -7891164635,

                          राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,कालाकोट,

                          छोटी सादड़ी,प्रतापगढ़,राजस्थान 312604

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