Thank You Nikumbh Sir CBSE

थैंक्यू निकुंभ सर सुरेश उनियाल

थैंक्यू निकुंभ सर Thank you nikumbh sir full story CBSE hindi story for children with moral 8th class Hindi thank you nikumbh sir Taare zameen par class 8 hindi story for kids वितान हिन्दी पाठमाला सुरेश उनियाल Thank you nikumbh Sir question answer

थैंक्यू निकुंभ सर पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ या पटकथा  थैंकयू निकुंभ सर , लेखक सुरेश उनियाल जी के द्वारा लिखित है । इस पाठ के माध्यम से एक बच्चे और उसके सच्चे गुरु की कहानी का उल्लेख किया गया है । यह एक ऐसे गुरु की कहानी है जिन्होंने अपने शिष्य के भीतर घुटकर दम तोड़ रही प्रतिभा को एक सही रास्ता दिखाया, जिस प्रतिभा को इससे पहले कोई पहचान तक नहीं पाया था।
ईशान अवस्थी, जो अब 10 साल का हो गया था । किन्तु दो साल से तीसरी कक्षा में ही पढ़ रहा था । ईशान को रंगों, पतंगों, मछलियों और अपने पालतू कुत्ते की संगत में रहना ज्यादा पसंद था । कक्षा के दौरान पढ़ाई जाने वाली चीज़ें इसे समझ में नहीं आती थी । कुछ पढ़ने की कोशिश में सारे अक्षर आँखों के सामने डांस करने लगते थे । एक बार टेस्ट में सवाल पूछा गया तीन गुणा नौ कितने ? सामने आ गए सौरमंडल के नौ ग्रह । ईशान का राकेट नंबर तीन के ग्रह धरती को नंबर नौ के ग्रह केतु के पास ले गया । दोनों में टक्कर हुई और नौ हो गया चूर-चूर । बचा क्या – तीन । उसने आंसर शीट पर वही जवाब लिख दिया । क्लास से बाहर होने, पीरियड बंक करने इत्यादि की शिकायतें जब ईशान के पापा तक पहुँची तो उन्होंने उसे डांट-फटकार भी लगाई और अगली सुबह स्कूल में टीचर्स से मिलने पहुँच गए । टीचर्स से उन्हें काफ़ी सारी बातों का पता चला । इसके बाद उन्होंने ईशान को बोर्डिंग स्कूल भेजने का निर्णय लिया । ईशान के लाख रोने-गाने पर भी पिता ने उसकी एक भी न सुनी । 
Thank You Nikumbh Sir CBSE

ईशान अब उस बोर्डिंग स्कूल का हिस्सा था, जहाँ बच्चों के साथ कड़ाई से व्यवहार किया जाता था । एक रोज ईशान के ड्राइंग टीचर ने उसकी पिटाई भी कर दी । ईशान के साथ बात करने के लिए था तो साथ बैठनेवाला लड़का राजन दामोदरन जो बैसाखियों के सहारे चलता था । परिवार से दूरी और हर बात पर अपमान ने ईशान को तोड़कर रख दिया था । वह ख़ुद में ही सिमटकर रह गया था । एक दिन ईशान के स्कूल में एक नए ड्राइंग टीचर आए, जिनका नाम था राम शंकर निकुंभ । नए ड्राइंग टीचर नियमों व अनुशासन के बंधनों में बच्चे को बाँधकर रखने में विश्वास नहीं करते थे । जो मन में है, जो आपकी कल्पना में है, उसे कागज़ पर उतारो । हर बच्चा अपने मन से चित्र बना रहा था । पुरे क्लासरूम में जैसे रंगों का एक कार्निवाल-सा सज रहा हो । लेकिन ईशान की शीट अब भी कोरी थी । निकुंभ सर की नज़र बार-बार वहीं पर पड़ रही थी । उन्होंने ख़ामोश पड़े ईशान से बातें करने की कोशिश की पर असफल रहे । निकुंभ सर ने ईशान के बारे में जानने के लिए ईशान की दूसरे विषयों के होमवर्क की कॉपियाँ देखीं । कुछ और अधिक जानने के लिए मुंबई उसके घर चले गए । ईशान की चीज़ें देखीं तो पता चला कि उस चुप्पे-से बच्चे के अंदर तो रंगों का एक जादूगर छिपा बैठा है । कल्पनाशीलता की जो उड़ान यहाँ है, वह किसी आम बच्चे में तो नहीं होती । नासमझी एक इतनी बड़ी प्रतिभा को बर्बाद कर रही है । इसके बाद उन्होंने तय किया कि ऐसा नहीं होने देंगे । 

सबसे पहले निकुंभ सर ने ईशान के पिता को समझाया कि डिस्लेक्सिया नाम की एक बीमारी होती है, जिसमें बच्चे को शब्दों और अंकों की जटिल प्रक्रिया को समझने में दिक्कत होती है । फिर स्कूल में प्रिंसिपल को भी समझाया कि एक होनहार बच्चे को नालायक मानकर कोसा जा रहा है और नष्ट किया जा रहा है । उसे डांट की नहीं, समझे जाने की ज़रूरत है तथा सहानुभूति की ज़रूरत है । पहले तो निकुंभ सर ईशान पर मेहनत करने लगे तथा एक रोज़ स्कूल में ड्राइंग कम्पटीशन का ऐलान किया, जिस प्रतियोगिता में बच्चे और टीचर सभी शामिल हुए । कम्पटीशन शुरू हुआ, पर सुबह उठकर ईशान झील के किनारे उसके पूरे वातावरण को सुबह की आभा में अपने भीतर समेटने निकल गया था । एक घंटा बीत गया था । निकुंभ सर निराश हो गए थे, लेकिन तभी वह अचानक दिखाई दिया और बिना कुछ बात किए अपने काम पर लग गया । 
निर्णय के लिए आई थीं प्रख्यात चित्रकार ललिता लाज़मी । प्रिंसिपल साहब ने निर्णय की घोषणा की कि दो चित्रों के बीच ‘टाई’ है । जीतना तो एक को ही था इसलिए गुरु निकुंभ सर पीछे रह गए और जीत गया शिष्य – ईशान । तालियों का शोर हो रहा था लेकिन ईशान अपने में सिमटा बच्चों के पीछे दुबका जा रहा था । स्कूल की अनुअल रिपोर्ट पर गुरु-शिष्य की पेंटिंग आगे पीछे छपी थी । ईशान की पेंटिंग आगे और निकुंभ सर की पीछे । ईशान का चेहरा खिला-खिला सा था । ईशान को यह ख़ुशी देने के लिए धन्यवाद निकुंभ सर… ।।   

थैंक्यू निकुंभ सर पाठ के प्रश्न उत्तर 

प्रश्न-1- ईशान को क्लास में पढ़ा हुआ समझ में क्यों नहीं आता था ? 
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, ईशान डिस्लेक्सिया (एक प्रकार की बीमारी, जिसमें बच्चों को शब्दों और अंकों की जटिल प्रक्रिया को समझने में कठिनाई होती है ।) से ग्रस्त था । इसलिए उसे क्लास में पढ़ा हुआ समझ में नहीं आता था।
प्रश्न-2- ईशान के लिए रिपोर्ट कार्ड का क्या महत्त्व था ? 
उत्तर- वास्तव में ईशान के लिए रिपोर्ट कार्ड एक कागज़ का टुकड़ा मात्र था । 
प्रश्न-3- एब्सेंट नोट क्यों तैयार करवाना पड़ा ? 
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, ईशान को प्रथम पीरियड में क्लास से बाहर कर दिया गया तथा दूसरे पीरियड में मैथ्स का गृह कार्य न करने के कारण उसने क्लास बंक कर दिया । जिसके कारण उसे एब्सेंट नोट तैयार करवाना पड़ा । 
प्रश्न-4- ईशान को बोर्डिंग स्कूल भेजने के पीछे क्या कारण था ? 
उत्तर- ईशान का मन पढ़ाई में नहीं लगता था तथा वह अपनी कल्पनाओं की दुनिया में खोया रहता था । स्कूल से भी ईशान की ख़ूब शिकायत आती थी । इसलिए उसे बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया । 
प्रश्न-5- निकुंभ सर को ईशान की प्रतिभा का कैसे पता चला ? 
उत्तर- निकुंभ सर ईशान के ड्राइंग टीचर थे । एक दिन जब उन्होंने क्लास में सभी बच्चों को ड्राइंग बनाने के लिए दिया तो ईशान को छोड़कर सभी बच्चे ड्राइंग बनाने में व्यस्त हो गए । ईशान चुप-चाप बैठा था । ईशान के बारे में निकुंभ सर के अंदर जिज्ञासा प्रकट हुई । वे मुंबई ईशान के घर भी गए । वहाँ पर उन्हें ईशान की चीज़ों को देखकर उसकी प्रतिभा का एहसास हुआ । तभी ईशान के बारे में निकुंभ सर कह बैठे कि उसके उंदर रंगों का जादूगर छुपा बैठा है । 
प्रश्न-6- निकुंभ सर ने ईशान के पिता को डिस्लेक्सिया के बारे में क्या बताया ? 
उत्तर- निकुंभ सर ने ईशान के पिता को डिस्लेक्सिया के बारे में बताया कि यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें बच्चों को शब्दों और अंकों की जटिल प्रक्रिया को समझने में परेशानी होती है । इस समस्या से पीड़ित बच्चे आम बच्चों की तुलना में ज्यादा दिक्कतों का सामना करते हैं । हमें चाहिए कि ईशान के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने की कोशिश करें । न कि उसे बुरा-भला बोलकर उसका उपहास करें । 
व्याकरण-बोध 
प्रश्न-7- रेखांकित शब्द बहुवचन में बदलकर वाक्य लिखिए – 
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
गायिका ने गीत गाया – गायिकाओं ने गीत गाया । 
घर से बाहर निकलो – घरों से बाहर निकलो । 
डाकू सरपट भागा – डाकुओं ने सरपट भागा । 
सबीना ने पुस्तक खरीदी – सबीना ने पुस्तकें खरीदी । 
सच्चा मित्र मुसीबत से बचाता है – सच्चे मित्र मुसीबत से बचाते हैं । 
दादी ने कहानी सुनाई – दादी ने कहानियाँ सुनाई । 
चिड़िया दूर तक उड़ती है – चिड़ियाँ दूर तक उडती हैं । 
प्रश्न-8- संयुक्त वाक्य बनाइए – 
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
युवराज ने गेंद उछाली और छक्का पड़ गया । 
मेरे पास अरबी घोड़ा है इसलिए वह तेज़ भागता है । 
राष्ट्रगान शुरू हुआ इसलिए सब खड़े हो गए । 
वह अपराधी था इसलिए उसे सज़ा हुई । 
अंशुल सवेरे कॉलेज जाता है और शाम को नौकरी करता है । 
प्रश्न-9- कोष्ठक में दिए गए शब्दों में से उचित शब्द छाँटकर वाक्य पूरे कीजिए – 
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
मेरा …मत… है कि इस बार किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा । 
ईश्वर ने जितना दिया है उतने में ही …संतोष… करो । 
मेरा …लक्ष्य… पायलट बनना है और मैं बनकर रहूँगा ।
मेरी प्रकाश से …अनबन… हो गई है । 
प्रो. शर्मा जब घर आए तो पत्नी ने उनका …सत्कार… किया । 
मेरे लिए इतना ही …बहुत… है कि मेरे बुलाने पर तुम चले आए । 
पार्टी में रीमा की लगातार …उपेक्षा… की गई । 
पिता जी ने बेटे की …ज़िद… पर कोई ध्यान न दिया । 
कर्ण ने अर्जुन पर एक …तीर… छोड़ा जो उसे नहीं लग पाया । 

थैंक्यू निकुंभ सर पाठ के शब्दार्थ 

सौरमंडल – सूर्य और उसकी परिक्रमा करने वाले ग्रहों या उपग्रहों का समूह 
एब्सेंट नोट – अनुपस्थिति-पत्र 
चिंदी-चिंदी – टुकड़े-टुकड़े 
खुशामद – चापलूसी 
परवाह – चिंता, फ़िक्र 
कार्निवाल – उत्सव 
जटिल – कठिन, पेंचीदा 
नालायक – जो लायक न हो 
प्रख्यात – प्रसिद्ध 
आवरण – उपरी कवर या पृष्ठ । 

You May Also Like