कन्या धन
बेटी तो जननी सृष्टि की,
बेटी पर टिका है जगतसार ।
बेटी तो माँ बहन बनी है,
क्यों न समझे इनके अधिकार ।।
बेटी |
बेटी थी बनी गार्गी जब,
वह विद्व हुई चौंका संसार ।
बेटी ही थी इन्दिरा जी,
सब व्यक्त जिनका आभार ।।
कन्या तो दिव्य ज्योति सी है,
जो जलती परोपकार मे ही ।
कुर्बानी इनका ही गुण है,
जिसमें सुख इनका निहित नहीं ।।
इनको भी जीने का हक है,
इनको भी उड़ने का हक है ।
फिर छीने क्यों हाथों से कलम,
इनको भी पढ़ने का हक़ है ।।
कन्या तो देवी का स्वरूप,
इनकी आँखो में दिव्य क्रान्ति ।
कन्या की इज्जत जब होगी,
तब जिन्दा होगी राष्ट्रशान्ति ।।
इनके हाथों में ताकत है ,
है शक्ति जो छू ले आसमान ।
गर मौका मिले बता दें ये ,
इनमें भी ऐसी है उड़ान ।।
गर हाथ बढ़ा दे ऊपर ये,
छोटा पड़ जाए आसमान ।
इनके दिल मेंं वह ममता है,
जिससे जिन्दा है “हिन्दुस्तान “।।
शरद वर्मा
ग्राम / पोस्ट- मानपुर ,बाराबंकी
उत्तर प्रदेश, 225121
लेखक अभी उच्च शिक्षा हेतु अध्ययन रत है। लेखक के पिता का नाम – अवनीश वर्मा है जोकि पेशे से कृषक है ।