जयगान कविता का सार व्याख्या भावार्थ प्रश्न उत्तर

जयगान कविता सुब्रह्मण्य भारती

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जयगान कविता का सार 

प्रस्तुत पाठ या कविता  जयगान , कवि सुब्रह्मण्य भारती जी के द्वारा रचित है। यह कविता देश के गौरव और यश को बखान करती हुई कविता है। इसके माध्यम से कवि देश से भेद-भाव और अंधविश्वास को दूर करना चाहते हैं। वे विजय, सुरक्षित, धन-धान्य से परिपूर्ण देश का अस्तित्व बयाँ करते हैं । इस कविता में कवि देश को विकसित, ज्ञान-विज्ञान में श्रेष्ठ महान और एकता से बंधे भारत का बखान करते हैं। हिमालय की चमचमाती रजत सी हिम की छाया में उन्नती का सपना देखते हैं। उनका मानना है कि इस देश में मंदिर से ज्यादा पवित्र स्थान विद्या ग्रहण करने का स्थान होता। जो हमें अंधविश्वास और अज्ञानता से दूर करता है। भारती जी देश के गौरवगान में सदा देश की उन्नती और विकास का बखान करते हैं…|| 
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जयगान कविता का अर्थ व्याख्या

हम करेंगे आज भारत देश का जयगान — 
यश का गान ! 

द्वेध दुख का अंत होगा,
अब न त्रास दुरंत होगा, 
अब फहरेगा हमारा
एक विजय निशान!

हम करेंगे आज भारत देश का जयगान — 
यश का गान !


भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ  जयगान  कविता से उद्धृत हैं, जो कविता कवि सुब्रह्मण्य भारती जी के द्वारा रचित है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि भारत देश का जयगान कर रहे हैं | भारत के यश और कीर्ति का गायन करते हुए कहते हैं कि आज हम सब मिलकर देश के जीत का गीत गाएँगे। अब देश में दुख का अंत होगा, अब फिर से देश में किसी तरह का कोई कष्ट नहीं होगा। आज देश में विजय पताका का निशान तिरंगा फिर लहराएगा | हम आज देश का जय-जयकार करते हुए उसके यश का गीत गाएँगे | 

जयगान कविता का सार व्याख्या भावार्थ प्रश्न उत्तर

रजत श्रंग तुषार शेखर,

तुंग यह हिमवान गिरिवर,
हम यहां निर्दवंद्व होकर,
बनेंगे गतिवान !

हम करेंगे आज भारत भूमि का जयगान — 
यश का गान !


भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ  जयगान  कविता से उद्धृत हैं, जो कविता कवि सुब्रह्मण्य भारती जी के द्वारा रचित है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि भारत देश का जयगान कर रहे हैं | भारत के यश और कीर्ति का गायन करते हुए कहते हैं कि ऊँचे हिमालय के पर्वत श्रृंखलाओं पर सफेद चाँदी की तरह बर्फ चमकती रहती है। इस पर्वत की छाया में हम बिना किसी रुकावट के तेज गति से उन्नति करेंगे। आज हम सब मिलकर भारत देश का जयगान करते हुए यश का गीत गाएँगे | 
पोत – दल शत शत तरेंगे,
पश्चिमी सागर भरेंगे,
गर्जना में ध्वनित होगा,
देश गौरव मान !

हम करेंगे आज भारत देश का जयगान — 
यश का गान!


भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ  जयगान  कविता से उद्धृत हैं, जो कविता कवि सुब्रह्मण्य भारती जी के द्वारा रचित है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि भारत देश का जयगान कर रहे हैं | भारत के यश और कीर्ति का गायन करते हुए कहते हैं कि हमारे हजारों नौका पश्चिम के सागर में घूमती रहेगी उनके घुमने से समुद्र में जो गर्जन सी आवाज़ उठेगी उसमें देश के मान, सम्मान और गौरव की गूँज होगी। आज हम सब मिलकर देश के गौरव का गीत गाएँगे | 
बने विद्या भवन शोभन,
देव मंदिर से सुपावन
हम करेंगे देश भारत,
ज्ञान वृद्ध महान !

हम करेंगे आज भारत देश का जयगान — 
यश का गान !


भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ  जयगान  कविता से उद्धृत हैं, जो कविता कवि सुब्रह्मण्य भारती जी के द्वारा रचित है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि भारत देश का जयगान कर रहे हैं | भारत के यश और कीर्ति का गायन करते हुए कहते हैं कि इस देश के विद्या पाने का स्थान मंदिरों से भी पवित्र है। जो अज्ञानता को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। हम ज्ञान बढ़ा कर शिक्षा ग्रहण करके देश को महान बनाएंगे। हम आज देश का जय-जयकार करते हुए उसके यश का गीत गाएँगे | 
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जयगान कविता का प्रश्न उत्तर 

प्रश्न-1 कवि किसका यश गान कर रहा है ? 

उत्तर- प्रस्तुत कविता के अनुसार, कवि भारत देश का यशगान कर रहा है | 
प्रश्न-2 कवि ने विद्यालयों को कैसा बनाने की कल्पना की है ? 

उत्तर- कवि ने विद्यालयों को मंदिर जैसा पवित्र बनाने की कल्पना की है | 
प्रश्न-3 पश्चिमी सागर को किससे भरने की कल्पना की गई है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, पश्चिमी सागर को हजारों नौकाओं से भरने की कल्पना की गई है | 
प्रश्न-4 ‘ज्ञान-वृद्ध’ किसे कहा गया है और क्यों ?

उत्तर- प्रस्तुत कविता के अनुसार, भारत को ज्ञान वृद्ध कहा गया है। क्योंकि ज्ञान से अज्ञानता और अंधविश्वास का नाश होता है। और यहाँ प्राचीन काल से ज्ञान का उदय हो गया था | 
प्रश्न-5 देश का जयगान करते हुए कवि कैसे देश का सपना देखता है ? 

उत्तर- देश का जयगान करते हुए कवि भेद-भाव से मुक्त, विजयी, सुरक्षित, धन- धान्य से परिपूर्ण विकसित ज्ञान-विज्ञान में श्रेष्ठ भारत का सपना देखते हैं | 
प्रश्न-6 देश के जयगान से मन में देश के प्रति कैसा भाव जागृत होता है ? 

उत्तर- देश के जयगान से मन में देश के प्रति गर्व का भाव जागृत होता है।
प्रश्न-7 ‘विजयी निशान’ किसे कहा गया है ? यह किस लिए फहराया जाएगा | 

उत्तर- ‘विजयी निशान’ तिरंगे झंडे को कहा गया है। इसे देश का विजयी गीत गाते हुए फहराया जाएगा | 
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भाषा से 
प्रश्न-8 इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए — 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
• दुख – कष्ट, वेदना
• विजय – जय, जीत
• यश – कीर्ति, ख्याति
• गिरि – पर्वत, नग
• शृंग – चोटी, शिखर
• पोत – जहाज, जलयान
• सागर – जलधि, समुद्र
• भवन – आलय, निकेतन
प्रश्न-9  ‘सु’ उपसर्ग का अर्थ है – अच्छा या श्रेष्ठ — 
इन शब्दों के पहले सु लगाकर इनके अर्थ सहित लिखिए — 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है – 
• पुत्र – सुपुत्र – अच्छा पुत्र
• बोध – सुबोध – अच्छा समझदार
• आगत – स्वागत – अच्छी आवभगत
• शिक्षित – सुशिक्षित – अच्छा पढ़ा लिखा
• शील – सुशील – अच्छा व्यवहार
• गन्ध – सुगन्ध – अच्छा गंध 
• विचार – सुविचार – अच्छा विचार
• नियोजित – सुनियोजित – अच्छा प्रबंध
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जयगान कविता का शब्दार्थ 

• द्द्वैध – दो तरह के 
• त्रास – कष्ट, दुख
• रजत शृंग – चाँदी सी चमकती चोटियाँ
• तुषारशेखर – हिमालय
• निर्दवंद्व – बिना विरोध के
• तुंग- उच्च, ऊँचा
• पोत-दल – नौकाओं के दल
• शोभन – सुन्दर
• सुपावन – पवित्र
• ज्ञान – वृद्ध – ज्ञान बड़ा | 

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