कभी रोना कभी हंसना

कभी रोना कभी हंसना

कभी-कभी इस दिल की सुनना अच्छा लगता है ,
कभी रोना,कभी हंसना अच्छा लगता है।
दुनिया के रीति-रिवाजो से हटकर,
प्रीति
प्रीति
सत्य के पथ पर डटकर;
कभी-कभी कुछ नया सा करना अच्छा लगता है ।
कभी रोना,कभी हंसना अच्छा लगता है।
मन में नई आशाएँ लेकर,
आँखों में नए सपने भरकर;
नींदों में खुद ही चलना अच्छा लगता है।
कभी रोना,कभी हंसना अच्छा लगता है।
पैरो में ना हो कोई बन्धन,
रिश्ते में ना हो कोई जकड़न  ;
सारे बन्धन तोडकर आना अच्छा लगता है ।
कभी रोना,कभी हंसना अच्छा लगता है।
घिर आएं जब यादें पुरानी, 
मन करने लगे जब बेईमानी ;
तब यादों के पेज पलटनाअच्छा लगता है ।
कभी रोना,कभी हसंना अच्छा लगता है।


– प्रीति
असिसटेंट प्रोफेसर,मेरठ

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