कभी सोचा न था

दुनिया इतनी आगे बढ़ जायेगी ,
कभी सोचा न था
सब ऐसे साथ छोड़ जायेंगे
कभी सोचा न था।
जब भी इसे देखा तो
सबको आगे बढ़ते देखा
सब ऐसे आगे बढ़ जायेंगे और
मै पीछे रह जाउंगी
कभी सोचा न था।
जब भी इसे देखा तो
सबको लड़ते देखा
सबमे प्रेम चैन खो जाएगा
कभी सोचा न था।
जब भी इसे देखा तो
पैसों को भावनाओं पर हावी होते देखा
पैसे इस कदर जरुरत बन जायेंगे
कभी सोचा न था।
यह कविता रचना दुबे द्वारा लिखी गयी है , जो कि कलकत्ता विश्वविद्यालय में हिंदी (प्रतिष्ठा) में अध्ययनरत है

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