गणतंत्र का पर्व
कण कण में जिसके आकर्षण
गण गण के भावों में संकर्षण
विश्व कल्याण शांति का दर्शन
वसुधैव कुटुम्बकम वाला अर्षन
ऐसे मेरे भारत की
सद्भावना पर गर्व है।
मिलकर मनाएं खुशियां आज
गणतंत्र का जो पर्व है।।
(2)
एकता, अखण्डता,
धर्मनिरपेक्ष बन्धुता,
न्याय, विचार, विश्वास की
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
ऐसे मेरे भारत की
संकल्पना पर गर्व है।
मिलकर मनाएं खुशियां आज
गणतंत्र का जो पर्व है।।
गणतंत्र |
सांविधानिक आस्था,
मौलिक अधिकारिता,
गान, व्यंजन, वेश, भाषा,
सांस्कृतिक विविधता
ऐसे मेरे भारत की
अल्पना पर गर्व है।
मिलकर मनाएं खुशियां आज
गणतंत्र का जो पर्व है।।
अमर्त्य जिजीविषा,
सम्प्रभु सम्पन्नता,
जाति, वर्ग, सम्प्रदाय,
धार्मिक विभिन्नता
ऐसे मेरे भारत की
अर्चना पर गर्व है।
मिलकर मनाएं खुशियां आज
गणतंत्र का जो पर्व है।।
भविष्य में भी हे प्रभो!
गर्व से भारत मेरा तना रहे
सुख, शांति, चैन, समृद्धि का,
अमन सदा बना रहे
ऐसे मेरे भारत की
वंदना पर गर्व है।
मिलकर मनाएं खुशियां आज
गणतंत्र का जो पर्व है।।
– शुभ्रता मिश्रा