घोड़ा पर निबंध हिंदी में || Essay on Horse in Hindi

घोड़ा पर निबंध

घोड़ा पर निबंध हिंदी में घोड़ा पर लेख essay on horse in hindi 10 lines essay on horse in hindi horse essay 10 lines in hindi ghoda par nibandh hindi mein ghoda par essay hindi mein – पशु मनुष्य जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं। घोड़ा एक चौपाया पालतू जानवर है। हजारों वर्ष पहले से मनुष्य के साथ इसका गहरा सम्बन्ध रहा है। घरेलू काम से लेकर युद्ध आदि में घोड़े का बहुत उपयोग रहा है। हमारे देश में राणा प्रताप का घोड़ा चेतक अपनी वीरता और स्वामिभक्ति के लिए बहुत प्रसिद्ध है। 

घोड़ा का आकार प्रकार 

घोड़ा चौपाया जानवर है। इसके दो कान होते हैं जो सीधे ऊपर की आरे खड़े होते हैं एवं दो आँखें और एक पूँछ होती है। इसकी गर्दन मुलायम ,चिकने तथा लम्बे बालों से ढकी रहती है ,जिसे आयाल कहते हैं। घोड़े की ऊँचाई लगभग चार – साढ़े चार हाथ तथा लम्बाई पांच साढ़े पांच हाथ होती है। इसका शरीर बहुत मजबूत गठीला और सुन्दर होता है। इसकी पूँछ छोटी होती है जिसके बाल लम्बे होता है। इसकी आँखें पैनी और चमकदार होती है। घोड़े की टाँगे लम्बी और मजबूत होती है। इसके पैरों के नीचे खुर होते हैं जो फटे नहीं होते हैं। इसके सींग नहीं होते हैं। घोड़े लाल ,काले ,चितकबरे ,मटमैले आदि कई रंगों के पाए जाते हैं। 

घोड़ा पर निबंध हिंदी में || Essay on Horse in Hindi

घोड़े का प्राप्ति स्थान 

प्रायः घोड़े सभी देशों में पाए जाते हैं ,किन्तु अफ्रीका तथा एशिया में अधिक पाए जाते हैं। सबसे अच्छी नस्ल के घोड़े अरबी कहलाते हैं ,जो अरब देशों में पाए जाते हैं। अरबी घोड़े मजबूत ,सुन्दर ,ऊँचे और तेज़ दौड़ने वाले होते हैं। अरबी घोड़ों के बाद तुर्की ,इरान ,बर्मा ,स्पेन ,आस्ट्रेलिया के घोड़े भी प्रसिद्ध है। 

घोड़े का स्वभाव 

घोड़ा बहुत धैर्यशील और शांत स्वभाव का होता है। यह बहुत साहसी और शक्तिशाली होता है। वह अपने मालिक को बहुत मानता है। उसमें देखने ,सुनने और सूँघने की अद्भुत शक्ति होती है। थोड़ी सी आहट सुनने पर वह चौकन्ना हो जाता है। अगर उसका स्वामी असजग है ,तो वह हिनहिना कर उसे सजग कर देता है। यह बहुत समझदार पशु है। कोई कोई घोड़ा काटते और लात मारते हैं। यह खड़े खड़े सो लेता है। 

घोड़े की उपयोगिता 

प्राचीन काल में घोड़े का प्रयोग युद्ध के लिए किया जाता था। कहीं कहीं यह क्रम आज भी चल रहा है। हर देश में आज भी घुड़सवार सेना का महत्व है। इसके अलावा सामंत और अमीर लोग घुड़सवारी को अपनी प्रतिष्ठा की बात मानते थे। आज घोड़ों का वह महत्व नहीं रहा। अब इक्का गाड़ियों और घोड़ा गाड़ियों में घोड़ों को जोतकर उनसे सवारी ढ़ोने का काम लिया जा रहा है। ये शिकार खेलने में भी सहयोग देते हैं। कहीं कहीं लोग घोड़े के माँस भी खाते हैं। अनेक देशों के लोग घोड़ी का दूध पीते हैं। घोड़े के बालों से अनेक उपयोगी वस्तुएँ बनायीं जाती है। घोड़े की चर्बी से साबुन तथा इसकी हड्डियों से कलम ,बटन ,बेंट ,कंघी आदि जैसी उपयोगी चीज़ें बनायीं जाती है। घुड़दौड़ हमारे लिए मनोरंजन का साधन हैं। पोलो – खेल घोड़ों की पीठ पर बैठकर खेला जाता है। रेस की दौड़ और सर्कस के खेल में घोड़े अद्भुत करिश्मा दिखाते हैं। कहने का अर्थ यह है कि प्राचीन काल से आधुनिक काल तक घोड़े मनुष्य के लिए कई प्रकार से उपयोगी रहे हैं। 

घोड़ा मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण 

घोड़े मनुष्य के लिए एतिहासिक महत्व रखते हैं। भारत तथा अन्य देशों में अनेक ऐसे घोड़ों का उल्लेख पाया जाता है जो अपनी वीरता ,साहस और स्वामिभक्ति के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। नेपोलियन,राणाप्रताप ,सिकंदर ,झांसी की रानी लक्ष्मीबाई आदि के घोड़े अपनी वीरता और स्वामिभक्ति के लिए उल्लेखनीय हैं। कहने का अर्थ यह है कि घोड़े मनुष्य के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। मशीन युग में यद्यपि यंत्र का महत्व बढ़ गया है ,किन्तु घोड़े आज भी अपनी समझदारी और स्वामिभक्ति के कारण महत्वपूर्ण हैं। 
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