चरित्र ही सबसे बड़ा धन है निबंध चरित्र ही सबसे बड़ा धन है Charitar hi Sacha Dhan hai par Nibandh अच्छे चरित्र का महत्व पर निबंध चरित्र ही सबसे बड़ा धन है निबंध your Character is your greatest quality आपका चरित्र ही आपका सबसे बड़ा गुण है – धन ,स्वास्थ्य और चरित्र में से चरित्र सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। वह जीवन का मूल है। उसके बिना जीवन मृत्यु के समान है। चरित्र में वह शक्ति है जो धूल को पर्वत बना सकती है ,मिट्टी को देवता बना सकती है और कीचड़ में कमल खिला सकती है।
यदि धन हुआ नष्ट तो कोई फ़िक्र नहीं ,
यदि स्वास्थ्य नष्ट हुआ तो कुछ फ़िक्र जरुर है
यदि चरित्र हो गया नष्ट तो शेष क्या बचा ?
चरित्र का अर्थ है – चाल चलन या व्यक्तित्व। यद्यपि चरित्र बुरा भी हो सकता है और श्रेष्ठ भी ,परन्तु समाज में प्रायः
अच्छे चरित्र को ही चरित्रवान कहते हैं। अतः चरित्र शब्द स्वतंत्र रूप में अच्छे चरित्र के लिए प्रयुक्त होता है। चरित्रवान का अर्थ है – ईमानदार ,सच्चा ,दयावान ,करुणावान ,कर्मठ ,सात्विक ,शुद्ध और कपटहीन व्यक्ति। कुछ लोग चरित्रवान केवल उसी को मानते हैं जिसमें काम सम्बन्धी विकार न हो। परन्तु यह शब्द इतना सिमित नहीं है। चरित्र में व्यक्तित्व के सभी गुण आ जाते हैं।
सच्चरित्रता में अपार बल होता है। जिस व्यक्ति में प्रेम ,मानवता ,दया करुणा ,विनय आदि गुण समां जाते है,वह शक्ति का भण्डार बन जाता है। उसमें से ज्योति की अदम्य किरने फूटने लगती है। जैसे सूर्य का तेज़ समस्त दिशाओं को आलोकित कर देता है ,उसी प्रकार चरित्र बल जीवन के सभी क्षेत्रों को शक्ति ,उत्साह और प्रकाश से भर देता है। कारण स्पष्ट है। ईमानदारी ,सच्चाई ,निष्कपटता ,मानवता आदि गुण स्वयं में बहुत शक्तिवान हैं। यदि ये सभी शक्ति के कण किसी एक व्यक्ति के व्यक्तित्व में पूँजीभूत हो जाएँ तो फिर महाशक्ति का विस्फोट होता है।
अच्छे चरित्र का उदाहरण
महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व हो ही लें। उन्होंने जिस महानता को अर्जित किया ,उसके पीछे उनके चारित्रिक गुण ही थे। असत्य का विरोध ,अहिंसा ,अन्याय का सविनय बहिस्कार ,सच्चाई ,मानवता आदि गुणों के कारण ही उन्होंने पूरे देश में अपने व्यक्तित्व की छाप संकित की। इसी चरित्र बल के कारण ही विश्व विजयी अंग्रेज सरकार उनसे डरती थी। गांधी जी के पास न तो अगम शारीरिक बल था ,न अपार धन – वैभव ,न समृद्ध परिवार परंपरा। वे हर प्रकार से आम व्यक्ति थे। उन्होंने चारित्रिक गुणों के एक एक कण को अपने जीवन में एकत्र किया और लगातार लोकप्रिय बनते चले गए। परिणामस्वरुप वे इस सदी के सबसे महान व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित हुए। उन्होंने अपने चरित्र बल से केवल स्वयं को ही नहीं ,अपितु पूरे भारत को आंदोलित कर दिया।
चरित्र बल का प्रभाव
चरित्र बल का प्रभाव अत्यंत तीव्रता से संक्रमित होता है। किसी चरित्रवान व्यक्ति के सामने खड़े होकर हमारी कमजोरियां नष्ट होने होने लगती हैं। जब पत्थर की देव मूर्ती के सामने ही हम कोई पाप नहीं कर पाते हैं ,तो जीवित देवताओं के सामने भला कैसे कोई पाप कर सकते हैं ? यही कारण है कि चरित्र संपन्न लोगों के सामने व्यसनी लोग इस तरह झुक जाते हैं जैसे सूरज के निकलने पर अँधेरा हार मान लेता है। इतिहास प्रमाण है कि भगवान् बुद्ध के सामने डाकू अंगुलिमाल ने घुटने टेक दिए थे ,क्रांतिकारी जय प्रकाश नारायण के सामने असंख्य डाकुओं ने हथियार डाल दिए थे। इन सबसे यही प्रमाणित होता है कि चरित्र बल में अपार शक्ति होती है। इस शक्ति को अखंड साधना ,अभ्यास और प्रयत्न से पाया जा सकता है।