तुम्हारी याद आती है
जब अमावस का चॉद छुप जाता हैं
जब सडको पर वीराना छा जाता हैं
तब घर के किसी कोनें में बैठें
तुम्हारी बहुत याद आती हैं ……………
जब सावन की बूंदे नीचे आती हैं
जब सखियों के गीत गुञ्जारे जाते हैं
तब किसी झूलें के सहारे खडे
तुम्हारी बहुत याद आती हैं………….
जब होली के अंगारे जलते हैं
जब लोग मीठा खा कर गले मिलते हैं
तब कहीं सूनेपन में गुलाल थामें
तुम्हारी बहुत याद आती हैं …………
जब दोस्त आकर मुझसे मिलते हैं
जब हाल तुम्हारा मुझसे लेते हैं
तब मन में रोकर यहीं कहते हैं
तुम्हारी बहुत याद आती हैं ………..
Name – Mohit Chauhan
Dist.- Hardoi (UP)
Profession- Teacher
Hobbies- Reading and Writing