तेरा इन्तज़ार आज तक
दुआ ना दे की जियूँ मै बेशूमार
दो घड़ी ही जी लू तेरी याद मे
हो ऐसा खुमार बरसो तक,
अब खुद ही नही रहा मेरा खुद पे
इख़्तियार क्यों कर रहा है तू मेरा
इन्तज़ार आज तक,
एक आस हमे भी थी उन दिनों
जब थी मैं तन्हा सी तब कहा था?
हो गयी है खंडहर दिल की दीवारे
क्यों हो रहा हैं मुझसे सवाल आज तक,
ना कर सका मेरा इन्तज़ार पल भर भी
रहा जिसको तेरा इन्तज़ार आज तक
ना जाने कैसी कसक रह गयी है मन
मे की चल रहा है बवाल आज तक
ये कौन सा गुल खिला था गुलसन में
ना आयी उसमे बहार आज तक
नजर बचा के गुजरते हम भी अब उन
रास्तोे से जहाँ रह गया है तेरे-मेरे पैरों के निशान आज तक।।।
उम्मीद की किरण
देखा है हमने उन्हें भी जो
अपने गमो मे जीते है
हर रोज आँशुओ को पिते है
क्या उनके नसीब मे खुशी नही
बरसो से उनके चहरे पे हँसी नही
सुना है तेरे दर से कोई खाली नही जाता
फिर क्यों हर रोज तू उन्हें लौटाता
ये मालिक मेरी यही है गुजारिश
कर दे तू खुशिओ की ऐसी बारिश
दे दे तू उनकी मुस्कान
छिन ली है तूने उनकी पहचान
कौन कैसा है तू ही परख
अपने बच्चो का ध्यान तू ही रख
नयन जो करुणा से भर गए है
हँसे उनको जवाने बीत गए है
अब तो खोल तू अपनी आँख
मत कर उनके सपनो को राख
उमंग की कोई तो किरण जगा
निराशाएं जो उनके अंदर पनपी है
उनको अब तू दूर भगा ।।
रचनाकार परिचय