दादी माँ शिवप्रसाद सिंह

दादी माँ शिवप्रसाद सिंह

दादी माँ शिवप्रसाद सिंह Dadi Maa Shivprasad Singh दादी माँ पाठ का सारांश दादी माँ कहानी का सारांश dadi maa class 7 summary in hindi dadi maa hindi chapter summary dadi maa class 7 question answer class 7 hindi chapter 2 summary dadi ma ka parivar 7th class dadi maa class 7 summary in english class 7 hindi chapter 2 question answer dadi maa ka pariwar दादी माँ शिव प्रसाद सिंह जी द्वारा लिखी गयी एक प्रसिद्ध कहानी है ,जिसमें आपने अपनी दादी की मृत्यु के बाद ,उनके साथ बिताये हुए समय को याद करता है। वह क्वार के दिन याद करता है ,जब उसके गाँव में बरसात का पानी बहकर आता था।उस बहकर आये पानी में मोथा,साई की अधगली घांस ,घेउर और बन्प्याज की जड़ें तथा नाना प्रकार की बरसाती घासों के बीज बहकर आते थे। रास्तों में कीचड सूख जाता था ,इससे गाँव के लड़के किनारों पर झाग भरे जलाशयों में धमाके से कूदते थे। लेखक ऐसे जलाशय में दो एक दिन ही कूद सका था कि वह बीमार पड़ गया। दिनभर वह चादर लपेटे सोया था। दादी माँ उसी बुखार को लेकर बहुत चिंतित हो गयी थी। दिन भर वह चारपाई के पास बैठी रहती ,पंखा झलती ,सर पर दाल चीनी रखती ,बीसों बार सर पर हाथ रखती।  
दादी माँ को गाँव की पचासों किस्म की दवाओं के नाम याद थे।गाँव में कोई बीमार होता ,तो उसके पास पहुंचती
दादी माँ
दादी माँ

और वहां देखभाल करती। उन्हें भूत से लेकर मलेरिया ,सरनाम ,निमोनिया तक का ज्ञान था।लेखक के पास आज आधुनिक सुख सुविधाएं हैं ,लेकिन उसमें दादी माँ का स्नेह नहीं है।किशन भैया की शादी के मौके पर ,दादी के उत्साह और आनंद का ठिकाना नहीं था। सारा कामकाज उन्ही के देखरेख में होता था।एक दिन रामू की चाची पर वह बिगड़ रही थी।रामू की चाची ने दादी से पैसे लिए थे ,जो की फसल करने पर चुकाने की बात कही थी। बिटिया की शादी होने के कारण रामू की चाचीउधार पैसे देने में असमर्थ थी। कई दिन बाद लेखक से एक दिन रास्ते में रामी की चाची बताती है कि दादी ने सारा उधार माफ़ कर दिया है ,साथ ही १० रुपये का नोट भी दिया है। अतः वह बहुत खुश है। 

किशन भैया के विवाह के दिनों में चार – पांच रोज पहले से ही औरतें रात रात भर गीत गाती थी।विवाह की रात को अभिनय भी होता था। उस नाटक में विवाह से लेकर पुत्रोत्पत्ति तक के सभी दृश्य दिखाए जाते थे।सभी पार्ट औरतें ही करती है। लेखक बीमार होने के कारण बरात न जा सका। उसे दादी ने पास की चारपाई पर सुला दिया था।लेखक न सोकर चादर ओढ़े जाग रहा था।लेखक के हंसने पर गाँव की औरतें ने एतराज किया ,जिससे दादी माँ ने बीच बचाव किया। 
दादा की मृत्यु  के बाद वे बहुत उदास रहने लगी।संसार उन्हें धोखे से भरा मालुम पड़ता।दादा जी के श्राद्ध में दादी माँ के मना करने पर भी पिता जी ने जो अतुल संपत्ति व्यय की ,वह घर को उधारी पर ला कर खड़ा कर दिया। दादी माँ ने ऐसे बुरे वक्त पर अपने परिवार की निशानी सोने के कंगन पिता जी को कर्ज चुकाने के लिए दे दिए। ऐसे समय में वह लेखक को शापभ्रष्ट देवी लग रही थी। लेखक वर्तमान में लौट आया ,उसे किशन भैया  का पत्र मिला ,जिसमें दादी की मृत्यु की सूचना दी गयी थी। लेखक बार बार स्वयं से ही पूछ बैठता कि क्या सचमुच दादी माँ नहीं रही।  

दादी माँ शिव प्रसाद सिंह प्रश्न अभ्यास कहानी से 

प्र.१.लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथ-साथ बचपन की और किन-किन बातों की याद आ जाती है?

उ.१. लेखक को दादी माँ की मृत्यु पर बहुत दुःख होता है। वह बार बार पुरानी घटनाओं को याद करता है ,जिसमें लेखक के बीमार पड़ने पर देखभाल करती हैं। किशन भैया के शादी के समय लेखक के हँसने पर गाँव की औरतों को विरोध पर दादी का हस्तक्षेप करना। रामी की चाची का सहृदयता के साथ पुराने कर्जे माफ़ कर तथा शादी में दस रुपये की आर्थिक मदद करना।घर पर विप्पति के समय अपने सोने के कड़े देना। ऐसी कुछ दादी के साथ जुडी स्मृतियाँ हैं ,जिन्हें लेखक भूल नहीं सकता है।  

प्र.२. दादा की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब क्यों हो गई थी?
उ.दादा जी की मृत्यु के बाद पिता जी की अज्ञानता के कारण घर की आर्थिक स्थिति ख़राब हो गयी। पाखंडी शुभचिंतकों की बाढ़ आ गयी ,जो मुँह में राम बगल में छुरी की कहावत सिद्ध करती हैं।ऐसे में पिता जी ने दादा जी के श्राद्ध में अतुल संपत्ति खर्च कर दी ,जिससे दादी को अपने सोने के कंगन बेचकर उबरना पड़ा।  
प्र.३. दादी माँ के स्वभाव का कौन सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है और क्यों?
उ. दादी केवल लेखक के प्रति ही प्रेम भाव न रखकर  सभी के प्रति स्नेह रखती थी।वह सभी को साफ़ सफाई की हिदायत देती थी। कोई भी बीमार पड़ता ,तो दादी उसकी देखभाल करती।रामी  को चाची को वह आर्थिक मदद देती हैं।लेखक के पिता के अज्ञानता के कारण ,घर की आर्थिक स्थिति डावाडोल हो जाती है ,जिससे वह सोने के कड़े बेचकर कर ठीक करती है। इस प्रकार दादी माँ स्नेह ,ममता और त्याग की मूर्ति हैं। 

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