दुश्मनी हमसे की ज़माने ने
जो जफ़ाकार तुझसा यार कियाये तवाहुम का कारख़ाना है
याँ वही है जो ऐतबार कियाहम फ़क़ीरों से बे-अदाई क्या
आन बैठे जो तुमने प्यार कियासद रग-ए-जाँ को ताब दे बाहम
तेरी ज़ुल्फ़ों का एक तार कियासख़त काफ़िर था जिसने पहले “मीर”
मज़हब-ए-इश्क़ इख़्तियार किया