नारी तेरी यही कहानी

नारी तेरी यही कहानी

नारी तेरी यही कहानी क्युँ है
हर आँखो मे इतना पानी क्युँ है
क्युँ हर दर्द सहे खामोशी से

नारी
नारी

चुप रह कर
क्युँ शरमाता है आँशू तेरी आँखो से
बह कर
तू अब भी अबला बेचारी क्युँ है
हर आँखो मे इतना पानी क्युँ है
सदिया बीत गई है
बदल गया जग सारा
पर क्युँ  नही  रुकी तेरे
आँखो की धारा
हालत तेरी अब भी                                
जस की तस है
तू अब भी लगती कितनी
बेबस है
व्यर्थ तेरी सारी कुर्बानी क्युँ है
हर आँखो मे इतना पानी क्युँ है
तेरे पीर न हरता क्युँ वो जो ऊपर बैठा है
सबका पालनहार भला तुझसे ही क्युँ ऐठा है
क्युँ निर्मम् होकर वो देखे रोज तमाशा
देने आया नही तुझे क्युँ कोई दिलाशा
तेरी दुनियाँ यूँ बीरानी क्युँ है
हर आँखो मे इतना पानी क्युँ है

       
        डा.शिवानी सिंह

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