नीति -नियंताओं से
अपने हिस्से के
जल थल
हवा आकाश
से वंचित
मोची
सहस्राब्दियों से
रोशनी के धागे से
जूते-चप्पलों का अँधेरा
सिल रहे हैं
मज़दूर
ईंटों का भार उठाए
सूरज की सीढ़ियों पर
असंख्य बार
चढ़-उतर रहे हैं
घसियारे
समय के तपते मैदान में
दोपहर के हँसिए से
अँधेरा काट-काट कर
उजाले के गट्ठरों में
बदलते जा रहे हैं
धोबी
युग के घाट पर
दिशाओं के वस्त्रों से
शताब्दियों की मैल
हटा रहे हैं
किसान
श्रम के पसीने में लिपटे
धरती के अँधेरे गर्भ में से
ख़ुशहाली के नवजात शिशु
का आना सुगम बना रहे हैं …
हे श्रीमन्
शब्दों से परे जा कर
क्या आप इनका
करेंगे कुछ कल्याण
असंवैधानिक तो नहीं होगा यदि
देश के नीति-नियंता दे दें
श्रम के पसीने को
उचित सम्मान
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प्रेषकः सुशांत सुप्रिय
A-5001 ,
गौड़ ग्रीन सिटी ,
वैभव खंड ,
इंदिरापुरम ,
ग़ाज़ियाबाद – 201014
( उ. प्र. )
मो: 8512070086
ई-मेल : sushant1968@gmail.com
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