फक़त बाज़ारी है – अकबर इलाहाबादी

पूछता हूँ ‘’आप गाँधी को पकड़ते क्‍यों नहीं’’
कहते हैं ‘’आपस ही में तुम लोग लड़ते क्‍यों नहीं’’।

यही मर्ज़ी ख़ुदा की थी हम उनके चार्ज में आये
सरे तस्‍लीम ख़म है जो मिज़ाजे जार्ज में आये।

ता’लीम जो दी जाती है हमें वह क्या है, फक़त बाज़ारी है
जो अक़्ल सिखाई जाती है वह क्याह है फ़कत सरकारी है।

You May Also Like