बिखेर दी

बिखेर दी 

हवा के हिलोरे ने 
बिखेर दी 
बूँदें ओस की
बूँदें ओस की 
जो तरु के पात पर 
सज 
सौंदर्य निखारती I 
बूँदें ओस की 
कोमल शब्दों में 
कहती 
बयां करती
मैं ऊँचे बलशाली 
पेड़ों पर 
राज करती हूँ 
किन्तु पलक झपकते 
ये बेरहम हवा 
मुझे जमीन पर 
गिरा देती 
दिखा देती अस्तित्व अपना I 

रचनाकार परिचय अशोक बाबू माहौर
साहित्य लेखन -हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में संलग्न प्रकाशित साहित्य-विभिन्न पत्रिकाओं जैसे -स्वर्गविभा ,अनहदकृति ,सहित्यकुंज ,Indian Wikipedia ,साहित्य शिल्पी ,पुरवाई ,रचनाकार ,पूर्वाभास,वेबदुनिया आदि पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित I
साहित्य सम्मान -इ पत्रिका अनहदकृति की ओर से विशेष मान्यता सम्मान २०१४-१५ से अलंकृति I
अभिरुचि -साहित्य लेखन ,किताबें पढ़ना
संपर्क-ग्राम-कदमन का पुरा, तहसील-अम्बाह ,जिला-मुरैना (म.प्र.)476111
ईमेल-ashokbabu.mahour@gmail.com8802706980

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