भारतीय आम चुनाव 2009

2009 के आम चुनाव में दूसरी बार पीएम बने मनमोहन सिंह, 45 महिलाएं चुनकर पहुंची संसद

2009 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटें जीतीं। भारत में उदारीकरण के जनक और वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। सोनिया गांधी के पी.एम. बनने से इंकार करने के बाद साल 2004 में मनमोहन सिंह को पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। 2009 के 15वें आम चुनाव में कांग्रेस ने 206 सीटें जीतीं और भारतीय जनता पार्टी के खाते में सिर्फ 116 सीटें ही आई। एन.डी.ए. फिर से सरकार बनाने में विफल रही। कांग्रेस ने यू.पी. में 21 सीटें जीतीं जबकि भा.ज.पा. के खाते में इस सूबे से सिर्फ 10 सीटें ही आई।

2009 के लोकसभा चुनाव में सी.पी.आई. ने 56 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा और इनमें से सिर्फ 4 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। सी.पी.आई. ने एक-एक सीट ओडिशा और तमिलनाडु से जीती जबकि बंगाल से पार्टी के खाते में दो सीटें आई। सी.पी.एम. ने इस चुनाव में 82 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा और इनमें से 16 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। सी.पी.एम. ने सबसे ज्यादा सीटें पश्चिम बंगाल से जीतीं। पश्चिम बंगाल से पार्टी के खाते में 9 लोकसभा सीटें आईं। जबकि केरल से सी.पी.एम. ने चार और त्रिपुरा से 2 लोकसभा सीट जीती। वहीं, तमिलनाडु से पार्टी ने एक ही लोकसभा सीट जीती। 15वें लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने सबसे ज्यादा 500 सीटों पर प्रत्याशी उतारे और इनमें से जीत सिर्फ 21 उम्मीदवारों की ही हुई। 2004 के आम चुनाव में बसपा ने 19 लोकसभा सीटें जीती थीं। वहीं, ए.आई.ए.डी.एम.के. ने इस लोकसभा चुनान में 9 सीटें जीतीं। पार्टी ने ये सारी सीटें तमिलनाडु से ही जीतीं। दूसरी तरफ, जे.डी.एस. ने चुनाव में लोकसभा की 3 सीटें जीतीं। फॉरवर्ड ब्लॉक और टी.आर.एस. ने चुनाव में 2-2 सीटें जीतीं। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सीटें आंध्र प्रदेश से जीतीं। पार्टी ने इस सूबे से 33 सीटें जीतीं। जबकि सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश से पार्टी के खाते में सिर्फ 21 सीटें ही आई। उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा।  राजस्थान से पार्टी के खाते में 20 लोकसभा सीटें आई। इसी तरह, कांग्रेस ने पंजाब से 8 सीटें और केरल से 13 सीटें जीतीं। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें कर्नाटक से जीतीं। यू.पी. से भा.ज.पा. के खाते में सिर्फ 10 ही सीटें आई। राजस्थान से पार्टी ने चार और पश्चिम बंगाल से सिर्फ एक ही सीट जीती। बिहार से पार्टी ने 12 लोकसभा सीटें और मध्यप्रदेश से 16 सीटें जीतीं।

*2009 आम चुनाव के रोचक फेक्ट ?

 -इस चुनाव में 45 महिलाएं सांसद बनीं।

-चुनाव 16 अप्रैल 2009 से 13 मई 2009 के बीच संपन्न हुआ।

-सबसे ज्यादा महिला सांसद यू.पी. से जीतीं। सूबे से 7 महिलाएं चुनाव जीतीं।

-गोवा ऐसा राज्य था जहां से इस चुनाव में सिर्फ एक महिला ही चुनाव जीतीं।

-राजस्थान के दौसा से सचिन पायलट सबसे कम उम्र 26 साल में सांसद बने।

-सबसे ज्यादा मतों से दिल्ली से सज्जन कुमार चुनाव जीते।

– इस चुनाव में 10 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन का उपयोग हुआ।

-1984 को दिल्ली की विभिन्न जगहों पर हुए सिख दंगो में 2019 में दोषी पाए गए सज्जन कुमार उस वक्त कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल थे। 2009 के चुनाव में भारत में वह सबसे ज्यादा वोट पाने वाले नेता बने थे। तब आउटर दिल्ली से चुनाव लड़ते हुए उन्हें 8,55,543 वोट मिले थे। इस चुनाव में सचिन पायलट को पहली जीत मिली थी। 26 साल की उम्र में चुनाव जीतकर वह सबसे युवा सांसद बन गए थे। वह राजस्थान के दौसा से जीते थे।

2009 में देश ने 15वें लोकसभा चुनाव देखे। इस चुनाव में यू.पी.ए. अलायंस ने शानदार वापसी करते हुए फिर सरकार बनाई जिसे यू.पी.ए. 2 कहा गया। चुनाव से ठीक पहले की गई कर्जमाफी  और तीसरे मोर्चे ने विपक्षी दल बी.जे.पी. का काम खराब कर दिया था। इसकी वजह से कांग्रेस को 2004 के मुकाबले 61 सीटों का फायदा हुआ था। इस चुनाव के बाद कांग्रेस ने मनमोहन सिंह  को दोबारा प्रधानमंत्री बनाया। जवाहरलाल नेहरू के बाद मनमोहन सिंह पहले ऐसा नेता बने जो 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।

भारतीय आम चुनाव 2009

2009 आम चुनावों में कांग्रेस की अगुवाई वाली यू.पी.ए. को 262 सीटें मिली थीं। इनमें से कांग्रेस ने 206 सीटें जीती थीं। इसके अलावा एन.डी.ए.  अलायंस को कुल 159 सीटों पर जीत मिली थी। इनमें से बी.जे.पी. को 116 सीटें मिली थीं। साल 2009 में डॉ. मनमोहन सिंह की अगुवाई में यू.पी.ए. ने सरकार बनाई थी। कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और राजस्थान में 2004 लोकसभा चुनाव के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू.पी.ए. सरकार ने 2008 में देशभर के किसानों का कर्ज माफ करने का ऐलान किया था। इसमें मनमोहन सरकार द्वारा किसानों का 65 हजार करोड़ का कर्ज माफ किया गया था। इस फैसले को कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में जमकर भुनाया। नतीजा ये हुआ कि एक बार फिर केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी।

माना जाता है कि 2009 के चुनाव में तीसरे मोर्चे ने बी.जे.पी. का खेल बिगाड़ दिया था। दरअसल, तीसरे मोर्चे में शामिल अधिकतर दल कभी न कभी बी.जे.पी. का साथ पाकर सत्ता में आ चुके थे। लेकिन इस बार उनके अलग होने से वोट बंट गए और इसका फायदा कांग्रेस को हुआ। उदाहरण के तौर पर तीसरे मोर्चे में शामिल मायावती यू.पी. में तीन बार बी.जे.पी. के समर्थन से सत्ता में रहीं। कर्नाटक की एच. डी. देवगौड़ा की पार्टी भी इस चुनाव से पहले तक बी.जे.पी. के साथ थी। इसी तरह जयललिता, नवीन पटनायक भी बी.जे.पी. से अलग नहीं थे। बी.एस.पी., सी.पी.आई., सी.पी.एम., फॉरवर्ड ब्लॉक, तेलुगुदेशम पार्टी, जनता दल सेक्युलर, टी.आर.एस., आर.एस.पी. और भजनलाल की पार्टी हरियाणा जनहित पार्टी आदि से मिलकर बने तीसरे मोर्चे को बी.जे.पी. की बी-टीम तक कहा गया था। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (नरेगा) जिसमें बाद में महात्मा गांधी जोड़कर ‘मनरेगा’ बना दिया गया का 2009 लोकसभा चुनाव पर असर माना जाता है। 2006 में कांग्रेस ने इसे शुरू किया था। इसमें ग्रामीण लोगों को 100 दिनों को पारिश्रमिक आधारित रोजगार की गारंटी दी जाती है।

आम चुनाव 2009 में यू.पी.ए. का वोट प्रतिशत 37.22 फीसदी और एन.डी.ए. का वोट प्रतिशत 24.63 फीसदी रहा। अगर देश की दोनों बड़ी पार्टियों की बात करें तो कांग्रेस का वोट प्रतिशत 28.55 फीसदी और बी.जे.पी. का 18.80 फीसदी वोट प्रतिशत रहा। यह चुनाव 16 अप्रैल 2009 से 13 मई 2009 के बीच कुल 5 चरणों में हुए थे।

*चुनाव की मुख्य बातें :-

*१५वी लोकसभा के लिए जब चुनाव हुए तब साल था २००९ का ।  ये चुनाव ०५ दिन तक चले। १६ एप्रिल से १३ मई तक मतदान हुए। १५वी लोकसभा के लिए उस समय २८ राज्यों और ०७ केंद्रशासित प्रदेशों में ५४३ सीटों के लिए चुनाव हुए ।

*देश की १५वी लोकसभा १८ मई २००९ को अस्तित्व में आई ।

*१५वी लोकसभा के चुनाव हेतु ८,३०,८६६ चुनाव केंद्र स्थापित किए गए थे । 

*उस समय मतदाताओं की कुल संख्या ७१.७० करोड़ थी । 

*उस समय ५८.१९ % मतदान हुए थे । 

*१५वी लोकसभा के लिए ५४३ सीटों के लिए हुए चुनाव में कुल ८०७० उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे जिन में से ६८२९ उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी। 

*इस चुनाव में कुल ५५६ महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही थी जिन में से ५९ महिला उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुई । 

*५४३ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में ८४ सीटे अनुसूचित जाती के लिए और ४७ सीटे अनुसूचित जनजाती के लिए आरक्षित रखी गई थी । 

*१५वी लोकसभा के लिए हुए चुनाव में ३६३ राजनीतिक दलों ने भाग लिया था जिन में से राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की संख्या ०७ और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों की संख्या ३४ थी जबकि ३२२ पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दल भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आज़मा रहे थे     । 

*राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने कुल १६२३ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे, जिन में से ७७९ उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के ३७६ उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुए थे । इस चुनाव में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को कुल वोटों में से ६३.५८ % वोट मिले थे ।

*इस चुनाव में राजयस्तरीय राजनीतिक दलों ने कुल ३९४ उम्मीदवार खड़े किए थे।  रिकॉर्ड के अनुसार इन ३९४ प्रत्याशीयों में से ८०    प्रत्याशीयों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी और १४६ प्रत्याशी लोकसभा में पहुंचे थे।  इस चुनाव में राजयस्तरीय राजनीतिक दलों को कुल वोटो में से १४.३९ % वोट मिले थे। 

*इस चुनाव में पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों ने २२२२ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे। इन २२२२ उम्मीदवारों में से २१६४ उम्मीदवार अपनी ज़मानत बचाने में भी विफल रहे जबकि केवल १२ उम्मीदवार लोकसभा तक पहुँचने में सफल हुए । इस चुनाव में पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों को कुल वोटो में से १७.१३ % वोट मिले थे। 

*इस चुनाव में कुल ३८३१ निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।  इन ३८३१ निर्दलीय उम्मीदवारों में से केवल ०९ उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुए थे।  कुल वोटो में से ४.९ % वोट निर्दलीय उम्मीदवारों ने प्राप्त किए थे जबकि ३८०६ निर्दलीय उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त होने का रिकॉर्ड मौजूद है।

*इस चुनाव में कांग्रेस सब से बड़े दल के रूप में सामने आया। ५४३ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में कांग्रेस के ४४० उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।  इन में से २०६ उम्मीदवार जीत दर्ज करा कर लोकसभा पहुँचने में सफल हुए तो वही ७१ उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त होने का उल्लेख भी रिकॉर्ड में मौजूद है। इस चुनाव में कांग्रेस को कुल वोटो में से २८.५५ % वोट मिले थे।

*भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दूसरा सब से बड़ा दल बन कर उभरा था। भारतीय जनता पार्टी ने कुल ४३३ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे।  इन ४३३ उम्मीदवारों में से १७० उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हुई थी जबकि ११६ उम्मीदवार लोकसभा पहुँचने में सफल हुए थे। भारतीय जनता पार्टी को कुल वोटों में से १०.९४ % वोट मिले थे।  

*सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि १५वी लोकसभा के लिए हुए इस चुनाव में ११,१४,३८,४५,००० (११ अरब, १४ करोड़, ३८ लाख, ४५ हज़ार रुपये) रुपये की राशि खर्च हुई थी ।  

*उस समय श्री नवीन बी. चावला भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त हुआ करते थे, जिन्होंने ये चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।  

*१५वी लोकसभा १८ मई २०१४ को विसर्जित की गई। 

*इस चुनाव के बाद १५वी लोकसभा के लिए ०१ से ०४ जून २००९ के दौरान शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया था।  

*१५वी लोकसभा के सभापती पद हेतु ०३ जून २००९ को चुनाव हुए और श्रीमाती मीरा कुमार को सभापती और कुरिया मुंडा को उपसभापती के रूप में चुना गया।  

*१५वी लोकसभा के कुल १५ अधिवेशन और ३५७ बैठके हुई।  इस लोकसभा में कुल १९२ बिल पास किए गए थे जिस का रिकॉर्ड मौजूद है। 

*१५वी लोकसभा की पहली बैठक ०१ जून २००९ को हुई थी।

*१५वी लोकसभा की ५४३ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में ३७६ सीटों पर राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने, १४६ सीटों पर राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों ने, १२ सीटों पर पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों ने जबकि ०९ सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।


प्रा. शेख मोईन शेख नईम 
डॉ. उल्हास पाटील लॉ कॉलेज, जलगाव 
7776878784

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