हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय

हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय


रिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय हिंदी में  Harivansh ray bacchan ka jeevan parichay Harivansh rai bachchan ka jivan parichay in hindi harivansh rai bachchan poems in hindi madhushala Biography Of Harivansh Ray Bachchan Harivansh rai bacchan ka jeevan parichay hindi me हरिवंशराय बच्चन का पूरा जीवन परिचय हरिवंश राय बच्चन जन्म स्थान अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंशराय बच्चन का जीवन परिचय हरिवंशराय बच्चन का महत्वपूर्ण जीवन परिचय हरिवंशराय बच्चन की रचनाएँ – हरिवंशराय बच्चन का जन्म इलाहाबाद में सन १९०७ में हुआ था। उन्होंने इलाहबाद विश्वविद्यालय से १९३८ में अंग्रेजी में एम्.ए तथा कैम्ब्रिजविश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। कुछ समय आप इलाहबाद विश्वविद्यालय में अध्यापक रहे और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत रहे। १९६६ में सरकारी सेवा में अवकाश ग्रहण करने के बाद इन्हें राज्यसभा का सदस्य भी मनोनीत किया गया था। १८ जनवरी ,२००२ को इनका देहावसान हो गया। 

बच्चन जी ने १३ वर्ष की अल्पायु से ही काव्य रचना आरम्भ कर दी थी। काव्य क्षेत्र में इनकी रचना मधुशाला के प्रकाशन के बाद इन्हें बहुत ख्याति मिली। इन्हें चौसठ रुसी कविताएँ (अनुवाद ) पर सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार और दो चट्टानों पर साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ है। 

हरिवंश राय बच्चन की भाषा शैली

हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय
हरिवंश राय बच्चन

बच्चन जी की भाषा में प्रवाह है ,माधुर्य है और वाणी में मोहक शक्ति। इन्होने अपनी भाषा खड़ी बोली में संस्कृत ,उर्दू और फ़ारसी के शब्दों का प्रयोग स्वतंत्रतापूर्वक किया है। आपकी कविता में आशावाद और उत्साह के भाव भरे हैं। विरह और वेदना बच्चन जी के काव्य के प्रमुख विषय रहे हैं। सामायिक जीवन भी कवि को प्रभावित करता रहता है। बच्चन जी की खड़ी बोली में सहजता और सरलता है ,मुक्त छंदों का सफल प्रयोग है। गीतों के क्षेत्र में आपने अपनी प्रतिभा का आलोक विक्रिर्ण किया है। 

प्रेम ,विरह और वेदना बच्चन के काव्य के प्रमुख विषय रहे हैं। सामायिक जीवन भी कवि को प्रभावित करता रहा है। स्वतंत्रता आन्दोलन ,नौकरशाही और राजनीति को भी इन्होने निकट से देखा है। वास्तव में इन्होने जीवन को जैसा जाना है उसे वैसी ही अभिव्यक्ति प्रदान की है। जीवन की यह ऊष्मा इनके काव्य को सदा बल प्रदान करती रही है। इस प्रकार इन्होने भाषा की सहजता में भावों की गंभीरता को सहज रूप से पिरोकर आम आदमी की कविता के निकट ला खड़ा किया है। 

हरिवंश राय बच्चन की काव्यगत विशेषताएँ

बच्चन जी की कविताओं में जीवन की अनुभूतियों की सहज अभिव्यक्ति हुई है। आप छायावाद के आस्थावादी कवि है। पन्त जी की भांति बच्चन जी ने भी अपने युग का प्रतिनिधित्व किया है। इसी कारण इन्हें युग का महत्वपूर्ण गीतकार माना जाता है। आपके गीत बड़े ही लोकप्रिय हैं। मधुशाला में इन्होने सभी जातियों और धर्मों की एकता की घोषणा की है तथा सामाजिक विषमताओं पर करार व्यंग किया है। 

बच्चन जी की कविताओं में व्यंग पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। इनकी अभिव्यक्ति में तीखापन है। बच्चन छायावाद और नयी कविता के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। हिंदी साहित्य में जिस समय प्रसाद ,निराला ,पन्त व महादेवी वर्मा की कवितायें पाठकों को दुरूह लग रही थी ,उस समय बच्चन जी की रचनाएं सरलता से ग्रहण की जा रही थी। 

हरिवंश राय बच्चन की रचनाएँ

बच्चन जी की रचनाओं में मधुशाला ,मधुबाला ,निशा निमंत्रण ,मधुकलश ,प्रणय पत्रिका ,तेरा हार ,एकांत संगीत ,दो चट्टानें ,आकुल अंतर ,तरंगिनी ,हलाहल ,मिलन यामिनी ,आरती और अंगारे ,बुद्ध और नाचघर , खादी के फूल ,त्रिभंगिमा ,चार खेमे चौसठ खूंटे आदि है। 

इनके अतिरिक्त क्या भूलूँ क्या याद करूँ ,नीड़ का निर्माण फिर फिर और बसेरे से दूर इनके निजी जीवन से सम्बंधित कवितायें – नए पुराने झरोखे बच्चन जी के निबंधों का संग्रह है। 

विडियो के रूप में देखें – 

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