देश का दिल है दिल्ली

देश का दिल है दिल्ली

देश का दिल है दिल्ली,
दिल्ली के बिना हम हैं भिंगी बिल्ली!
देश की भाषा है हिन्दी,
हिन्दी भारत माता की है सुहाग बिंदी!
एक राजभाषा के बिना

देश का दिल है दिल्ली
देश का दिल है दिल्ली

देश ना हो जाए चिंदी-चिंदी, चिंदी-चिंदी!
अपनाएं राजभाषा हिन्दी
राजभाषा के बिना देश हो गया शिखंडी!
एक राजभाषा के बिना
देश में हो नहीं जाए विचारों की मंदी!
अंग्रेजी थोपी गई भाषा 
अंग्रेजी थी कभी राजभाषा गुलाम भारत की!
अगर चाहिए स्वराज,
और न्याय तो अपनाएं कोई स्वभाषा देश की!
हजारों भाषा है देश में
कुछ भाषा को बोलते कुछ लाख हजार हीं!
ऐसी स्थिति में कुछ भाषा
स्थान ले सकती नहीं है अंग्रेजी भाषा की!
कुछ भाषाओं में अकड़ है
मगर देश के लोगों के बीच कोई पकड़ नहीं!
कुछ भाषाओं में ऐंठन है,
हिन्दी भाषा से घृणा बस बनी है प्रतिद्वंद्वी!
कुछ भाषा हिन्दी की बेवजह
सौतन बन गई है जो हिन्दी की उपभाषा जैसी! 
भाषा में शक्ति बहुत होती
कुछ भाषा में फिरकापरस्ती होती बेहिसाब की!
भाषा के कारण देश टूट जाता
पाकिस्तान से बांग्लादेश भाषा के कारण टूटी!
हिन्दी है भारत की नियति
हिन्दी को शीघ्र अपनाएं, हिन्दी में अक्लमंदी!
आज वही देश है सफल
जिसकी राष्ट्रभाषा है अपनी स्वदेशी भाषा की!
अमेरिका,रुस,फ्रांस, चीन की
सफलता का राज इन देशों की भाषा नहीं अंग्रेजी!
अगर इन देशों की बराबरी
करना चाहे भारत तो भाषा अपनानी होगी हिन्दी!



– विनय कुमार विनायक

दुमका, झारखण्ड-814101

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