भारत माता जवाहरलाल नेहरू

भारत माता जवाहरलाल नेहरू

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भारत माता पाठ  का सारांश 

प्रस्तुत पाठ या लेख भारत माता, जो हिंदुस्तान की कहानी का पाँचवाँ अध्याय है, पं. जवाहरलाल नेहरू जी के द्वारा लिखित है | मूलत: यह लेख अंग्रेज़ी भाषा में लिखी गई थी, जिसे हिन्दी में अनुवाद हरिभाऊ उपाध्याय जी ने किया है | 
इस पाठ में पं. जवाहरलाल नेहरू ने बताया है कि किस प्रकार वे देश के कोने-कोने में जाकर आम लोगों को बताते थे कि, छोटे-छोटे हिस्सों में बटे होने के बावजूद हिंदुस्तान एक है | 
पं. नेहरू बताते हैं कि देश के अनेक कोनों में जब वे समारोह में जाते, तो भारत की चर्चा किया करते थे। वे बताते हैं कि वे शहरों में अपने भारत देश की चर्चा कम ही किया करते थे क्योंकि वहां के लोग पहले से ही काफी समझदार थे, वहां के लोगों को इसकी जरूरत नहीं थी। खेती बाड़ी करने वाले किसानों को, जिनकी सोच सीमित होती थी उनके साथ अकसर वे इस बड़े देश भारत की चर्चा किया करते। जिस देश की आजादी के लिए सारे लोग कोशिश कर रहे थे और सब को यह समझाने का प्रयत्न करते की, किस प्रकार देश का एक हिस्सा दूसरे से दूर और अलग होने के बावजूद भी हिंदुस्तान एक हैै। वे सभी लोगों से उस बात का जिक्र किया करते जो उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक एकसमान थी। वे स्वराज्य की बातें किया करते थे जो की सभी लोगों के हित में थी।
पं. नेहरू, लोगों को उत्तर में खैबर के दर्रे से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक की अपनी यात्रा का अनुभव बताते
जवाहरलाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू

हैं कि सभी जगह के किसान एक से ही सवाल उनसे पूछा करते थे क्योंकि सभी की परेशानियां भी एक ही जैसे थी जो कि अंग्रेजी हुकूमत ने उन पर लाद रखी थी, जिनसे सभी को मुक्ति चाहिए थी। वे चाहते थे कि सारे लोग हिंदुस्तान के बारे में सोचें, इसलिए वे अकसर अनेक देशों में चल रहे परेशानियों तथा वहां हो रहे बदलाव का जिक्र किया करते। उन्हें ये सब पूर्ण रूप से समझा पाना बिल्कुल आसान तो न था पर इतनी भी कठिनाई नहीं हुई क्योंकि पुराणों, महाकाव्यों की कथा- कहानियों से सारे लोग इस देश की कल्पना कर चुके थे। कई लोग तीर्थ यात्रा के माध्यम से देश के अलग अलग जगह घूम चुके थे। कई लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने देश- विदेश में नौकरियां की हुई थी। इन्हीं कारणों से जब भी पं. नेहरू उन्हें दूसरे मुल्कों के बारे में बताते तो वे उनकी बातों को समझ जाते थे।

पं. नेहरू बताते हैं कि जब जब वे समारोह में जाते तो उनका स्वागत “भारत माता की जय” नारे के साथ किया जाता। जब वे उनसे पूछते कि वे इस नारे से मतलब क्या समझते हैं! भारत माता से उनका क्या मतलब है और भारत माता कहकर वे किन्हें संबोधित करना चाहते हैं तो उनके सवालों से लोगो को उत्सुकता और आश्चर्य होने लगता। जवाब उनके पास ना होने पर, वे एक दूसरे की तरफ देखने लगते। आखिरकार एक स्वस्थ-तंदुरुस्त किसान ने बताया कि भारत माता से मतलब धरती से है। उसके बाद पं. नेहरू सवाल करते हैं कि धरती से उनका क्या मतलब है। ये कौनसी धरती है! गांव की धरती है या जिले की या फिर पूरे भारत की धरती है! जब लोग इन सवालों से थक जाते, तो उनकी आशा होती कि वे ही इन सवालों का जवाब बता दें। वे बताते हैं कि जितना वे भारत को समझते हैं, भारत उनकी सोच से कहीं ज्यादा है। वे बताते हैं कि भारत माता कोई और नही! बल्कि हमारे- तुम्हारे जैसे हिंदुस्तान के करोड़ों लोग ही हैं और भारत माता की जय से मतलब इन लोगों की जय है। पं. नेहरू उन्हें कहते की तुम सब भारत माता के ही अंश हो अर्थात तुम ही भारत माता हो, जैसे जैसे ये बात उनके मन में घर करती, आंखों में एक चमक सी आ जाती। जिसे देखकर ऐसा लगता मानो उन्होंने कोई बड़ी खोज कर ली हो…|| 

भारत माता पाठ के प्रश्न उत्तर 

प्रश्न-1 भारत की चर्चा नेहरू जी कब और किससे करते थे ? 

उत्तर- नेहरू जी अपने समारोह में और गाँव के किसानों के साथ भारत की चर्चा करते थे | 
प्रश्न-2 नेहरू जी भारत के सभी किसानों से कौन-सा प्रश्न बार-बार करते थे ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, नेहरू जी भारत के सभी किसानों से निम्नलिखित प्रश्न बार-बार किया करते थे — 
• भारत माता की जय नारे से उनका क्या अर्थ है ?
• भारत माता कौन हैं जिनकी वे जय चाहते हैं ? 
• धरती का अर्थ कहाँ की धरती से है ? 
प्रश्न-3 दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए क्यों आसान था ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, हम कह सकते हैं कि दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए इसलिए आसान था, क्योंकि पुराणों, महाकाव्यों की कथा-कहानियों से सारे लोग इस देश की कल्पना कर चुके थे। अर्थात् देश को हृदय से महसूस कर चुके थे | कई लोग तीर्थ यात्रा के माध्यम से देश के अलग अलग जगहों पर घूम चुके थे। कई ऐसे सिपाही थे जिन्होंने पिछली बड़ी जंग लड़ी हो। कई लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने देश-विदेश में नौकरियां की हुई थी। इन्हीं कारणों से जब भी वे उन्हें दूसरे मुल्कों या देशों के बारे में बताते तो वे उनकी बातों को आसानी से समझ जाते थे | 
प्रश्न-4 किसान सामान्यतः भारत माता का क्या अर्थ लेते थे ? 

उत्तर- किसानों के लिए भारत माता का सीधा अर्थ भारत की धरती से था | अर्थात् वही धरती ‘मातृभूमि’ कहलाती है | 
प्रश्न-5 भारत माता के प्रति नेहरू जी की क्या अवधारणा थी ? 

उत्तर- भारत माता के प्रति नेहरू जी की अवधारणा यह थी कि भारत माता कोई और नहीं, बल्कि भारत में रहने वाले लोग ही हैं तथा भारत माता की जय से आशय इन्हीं लोगों की जय से है | आगे नेहरू जी कहते हैं कि भारत में रहने वाले करोड़ों लोग भारत माता के अंश हैं और यही लोग भारत माता हैं | 
प्रश्न-6 आजादी से पूर्व किसानों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था ? 

उत्तर- आजादी से पूर्व किसानों के समक्ष कई समस्याएँ उत्पन्न हुई थीं। उन्हें विकराल गरीबी का सामना करना पड़ा था | कर्जदारों, पूँजीपतियों, महाजनों, जमींदारों के द्वारा शोषण सहना पड़ा था | अधिक लगान तथा पुलिस का अत्याचार उस समय की प्रमुख समस्याएँ थीं | अंग्रेज़ी हुकूमत की बर्बरता किसानों के प्रति अत्यधिक बढ़ गई थी | 
प्रश्न-7 नीचे दिए गए शब्दों का पाठ के सन्दर्भ में अर्थ लिखिए — 
दक्खिन, पच्छिम, यक-साँ, एक जुज़, ढढ्ढे 

उत्तर- शब्दों का पाठ के सन्दर्भ में अर्थ – 
• दक्खिन – भारत के दक्षिण प्रांतों के लिए प्रयोग हुआ है | जैसे — तमिलनाडु, कर्नाटक,केरल, आन्ध्र प्रदेश | 
• पच्छिम – भारत के पश्चिम प्रांतों के लिए प्रयोग हुआ है | जैसे — राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात | 
• यक-साँ – एक-सा, अर्थात् एक समान | 
• एक जुज़ – एक हिस्सा या एक अंश के संदर्भ में प्रयोग हुआ है | 
• ढढ्ढे – बोझ के संदर्भ में प्रयोग हुआ है | 
प्रश्न-8 नीचे दिए गए संज्ञा शब्दों के विशेषण रूप लिखिए — 
आजादी, चमक, हिंदुस्तान, विदेश, सरकार, यात्रा, पुराण, भारत

उत्तर-  संज्ञा शब्दों के विशेषण रूप – 
• आजादी – आजाद
• चमक – चमकीला
• हिंदुस्तान – हिंदुस्तानी
• विदेश – विदेशी
• सरकार – सरकारी
• यात्रा – यात्री
• पुराण – पौराणिक
• भारत – भारतीय | 


भारत माता पाठ के कठिन शब्द शब्दार्थ 

• गिज़ा – खुराक, भोजन
• सयाने – समझदार
• महदूद – सीमित 
• मसला – मुद्दा
• तब्दीली – परिवर्तन
• जुज़ – भाग, खंड
• हवाले – संदर्भ
• ताज़्जुब – आश्चर्य
• कुतूहल – उत्सुकता
• अजीज – प्रिय
• दरअसल – वास्तव में 
• जलसा – समारोह
• धावा – आक्रमण
• यक-सां  – एक समान | 

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