महामारी का अंत करना है

महामारी का अंत करना है

कोरोना का अपना धर्म संप्रदाय कुछ नहीं है प्‍यारे , वह पूरी दुनिया को अपना मानता है । वह किसी भाषा संस्‍कृति विशेष पर ध्‍यान नहीं देता । वह तो सभी जीव-जन्‍तुओं को समान भाव से देखता है। उसका अपना कोई जाति, धर्म नहीं है। तभी आज विश्‍व विजेता वही बन बैठा है । उसने किसी को भी विशेष दृष्टि से नहीं देखा । उसने सबको समान दृष्टि से देखा और चुपचाप अपना अस्तित्‍व बरकरार रखा है उसने जग को जीतने की ठानी है और पूरे विश्‍व में अपना विस्‍तार कर बैठा है । उसने विश्‍व के हर कोने को अपने अधिकार में लेने की सोची है ।
323 ई0 पू0 सिकन्‍दर ने भारत पर आक्रमण किया जो कि विश्‍व के अधिकांश बडे-बडे देशों को जीतकर भारत पहुँचा लेकिन झेलम नदी के किनारे हमारे भारत के बलशाली योद्धा पोरस ने उसके छक्‍के छुडा दिये और घुटनों के बल बैठकर वह पोरस को अपने मुँह से “एक महान बलशाली योद्धा” कहकर अपनी सेना सहित वापस
महामारी
मेसोडोनिया को लौट गया । क्‍योंकि पोरस ने उस समय अपना पौरूष दिखाया था आज भी इतिहास में स्‍वर्णिम अक्षरों में उसका वृतांत मिलता है । इस बार हमारा देश कोरोना जैसे बलशाली योद्धा से युद्ध कर रहा है । जहाँ विश्‍व के सारे देशों में इसका भयंकर कहर बरपा है तथा इससे युद्ध करने में परास्‍त होते नजर आ रहे हैं किन्‍तु हमारे देश में इससे लडने के लिए कई महान व बुद्धिजीवी वर्ग लगे हैं । जिनमें से सही मार्ग सबसे पहले हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने चुना । जिनके मार्गदर्शन पर पूरा भारत एकजुट होकर इस कोरोना नामक महायोद्धा से लडने में संघर्षरत है । फूल सुगन्धित होते हैं लेकिन चीटियाँ उनकी हर पंखुडी को धीरे-धीरे काटने का प्रयत्‍न करती है किन्‍तु फूल अपनी सुगंध नहीं खोता वह फिर भी सुगंधित रहता है । हमारे देश में कोरोना वायरस को हराने के लिए कई सुगंधित मानव-फूल मुकाबला कर रहे हैं पर कुछ मानव-फूलों पर चीटियों की तरह जड-मूर्ख मानव जिनकी समझ से सब कुछ परे है ऐसे लोग सुगंधित मानव-फूलों को काटने का मार्ग खोज रहे हैं । कोरोना को हराना है तो हमको न कोई जाति, न कोई धर्म और न कोई सम्‍प्रदाय, भाषा-बोली के प्रति भेदभाव रखना है । सम्‍पूर्ण देश को एक होकर इस वैश्विक महामारी का अन्‍त करना है ।
मन में धैर्य रखना
मन में साहस रखना ।
मन में सुकून रखना,
ये सब अब कहीं खो सा गया है ।
कहाँ ढूँढें इसे किस गलियारे में खोजें इसे,
चारों तरफ कोरोना छा गया है ।
देश-दुनिया में अब भयावह सा वातावरण हो गया ।
किस दिशा को जायें,
जिस दिशा को भी जायें,
उस दिशा में ही वायरस का भय छा रहा ।
हर कोई परेशॉ नज‍र आ रहा,
सुरक्षित रहने का हर प्रयास किया जा रहा ।
बस………….
यह हम सबको ‘सर्व धर्म सम्‍भाव’ सिखलाने आया है ।    

– बिमला पाण्‍डेय
पाण्‍डेगाँव,जी0आई0सी0रोड
पिथौरागढ, उत्‍तराखण्‍ड 
262501 

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