यादें उनकी
न घर था न शहर था
मेरे दिल में बस ,
तेरी यादों का कहर था।
न धुँआ थी
न राख था,
गुड़िया कुमारी |
पलकों के झपकने भर
हमारा आंपका साथ था ।
न राहें थी न मुसाफिर थे,
फिर बेवक्त कहाँ हम आखिर थे।
न धूप थी न छांव था,
वो कैसा वक्त का ठहराव था ।
न हम थे न आप थे,
फिर किसका छुटा गाँव था।
न नदियाँ थी न समंदर थे,
फिर इतनी हलचल क्यों
दिल के अंदर थे।
न आँसू थे न जज्ब़ात थी
फिर क्यों रोया मन आपकी ही यादों में,
आपकी यादों में ऐसी क्या बात थी।
गुड़िया कुमारी
पता-धनबाद,झारखंड