ये वो कल था

ये वो कल था

ये वो कल था
जब रावी चिनाव झेलम सिंधु 
बंटा नहीं जल था
कल कल निनाद निश्छल था! 

ये वो कल था
जब हिन्दुस्तान की सरहद
किसी पाकिस्तान से सटी नहीं थी 
पाकिस्तान के जिस्म से
कोई बांग्लादेश भूमि कटी नहीं थी!

ये वो कल था

ये वो कल था
जब सरहद में सैनिकों का जमावड़ा होता नहीं था,
सैनिकों के शहादत का आंकड़ा अटा-पटा नहीं था! 

ये वो कल था
जब देश के सामने पाक बांग्लादेश सा
नए दुश्मनों का लफड़ा झगड़ा नहीं था!

ये वो कल था
जब कोई सरहद नहीं थी, फौज नहीं था,
सुरक्षा नाम पर कोई बड़ा बजट नहीं था!

ये वो कल था
जब स्वदेशी ही विदेशी पाकिस्तानी बनकर
लाश निर्यात कर रहा था ट्रेन बोगी भरकर!

ये वो कल था
जबकि देश का बंटवारा हुआ नहीं था,
धर्म के नाम पर कोई दंगा हुआ नहीं था,
काश कि हर भारतीय खुद को भारतीय समझता!

ये वो कल था
जब हर व्यक्ति का धर्म भारतीय धर्म-पंथ था,
हर व्यक्ति की संस्कृति निश्चित तौर पे भारतीय थी,
गंगा यमुनी तरजीह की झूठी दुहाई दी नहीं जाती थी!

ये वो कल था
जब स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र का अपना धर्म होता था,
एक जीवित राष्ट्र की अपनी राजभाषा होती थी,
भारतीयों का नेतृत्व भारतीयों के हाथ होता था!

ये वो कल था
जब देश धार्मिक सांस्कृतिक स्तर का गुलाम नहीं था!
जब कोई भारतीय विदेशी मजहब और भाषा की ओर
मुखातिब नहीं होता और धर्मांतरण नहीं स्वीकारता!

– विनय कुमार विनायक, 

दुमका, झारखण्ड-814101

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