राजनीति में विद्यार्थियों की भूमिका

राजनीति में विद्यार्थियों की भूमिका 

विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध छात्र और राजनीति पर निबंध लिखें vidyarthi aur rajniti par nibandh छात्र और राजनीति पर लेख फायदे और छात्र राजनीति का नुकसान chatra rajniti par nibandh राजनीति में छात्र-प्रवेश: उचित या अनुचित राजनीति में विद्यार्थियों की भूमिका  बच्चों को राजनीति में भाग नहीं लेना चाहिए छात्रों राजनीति में शामिल होने चाहिए क्या विद्यार्थी जीवन में राजनीति छात्रों को पथ भ्रष्ट कर देती है student and politics essay – यह प्रश्न कि विद्यार्थी राजनीति में सहभागी बने या नहीं अत्यधिक विवादास्पद हो गया है। कुछ लोगों की राय है कि राजनीति को इस बात की अनुमति नहीं मिलनी चाहिये कि वह विद्यार्थियों का ध्यान अध्ययन से हटाये। इसके विपरीत, कुछ अन्यों का यह विश्वास है कि विद्यार्थियों के लिए राजनीति में सक्रिय भाग लेना आवश्यक है। इसमें उन्हें संघर्ष का सामना करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त होगा, जो कि उनका इन्तजार कर रहा है। 

राष्ट्रीय आन्दोलन के दिनों में 

इस सम्बन्ध में हम पीछे की ओर दृष्टिपात कर सकते हैं। असहयोग आन्दोलन के दिनों में विद्यार्थियों की राजनीतिक में सहभागिता उनके देश के कल्याण में रुचि लेने की पर्यायवाची मानी जाती थी। युवा क्रान्तिकारी नेताओं के नवीन दल ने देश के समक्ष पूर्ण स्वतन्त्रता का विचार प्रस्तुत किया तथा समस्त वर्गों, सम्प्रदायों ,आयु व अर्हताओं के व्यक्तियों का इस बात के लिए आह्यान किया कि वे ही शासन के अत्याचार

को उतार फेंकने के उनके प्रयास में उनके साथ हों।

किन्तु अब परिस्थितियां परिवर्तित हो गयी हैं। हमारा देश गुलाम नहीं है, हमारी पूर्ण स्वतन्त्रता का उद्देश्य प्राप्त हो चुका है। अतः आज रानीति का तात्पर्य विदेशी शासन से संघर्ष करना नहीं है। इसके बजाय, यह राष्ट्रीय कल्याण के नियोजन व जनता की सुरक्षा, शान्ति और समृद्धि को बनाये रखने हेत उन्हें एक राष्ट्र में संगठित करने का विज्ञान है।
राजनीति में विद्यार्थियों की भूमिका
राजनीति में विद्यार्थियों की भूमिका 

विद्यार्थियों का राजनीति के साथ सम्बन्ध

अतएवं वर्तमान स्थितियों के सन्दर्भ में विद्यार्थियों के राजनीति के साथ सम्बन्धों का पुनरावलोकन किया जाना तथा निश्चय किया जाना है। इस समस्या के प्रति तीन  दृष्टिकोण हैं।कट्टर, क्रान्तिकारी तथा मध्यम या संयत। हम इन दृष्टिकोणों का एक-एक कर परीक्षण करें। 
कट्टर दृष्टिकोण के अनुसार राजनीति दुष्ट लोगों की शरणस्थली बन गयी है। इस कारण राजनीति को, किसी भी कीमत पर युवाओं से ‘वर्जित फल’ की भाँति दूर रखना है। राजनीतिक का अध्ययन विद्यार्थियों के मस्तिष्क को भ्रष्ट करता है। यह उसके मस्तिष्क में सांसारिक मूल्यों, शक्ति व सम्पत्ति, कृत्रिमता व षड्यन्त्र, संघर्ष कलह के प्रति प्रेम का विकास करता है। चूंकि वह युवा ही है उसकी समझदारी व निर्णय की शक्तियां पर्याप्त परिपक्व नहीं है। अतः वह अधिक सरलतापूर्वक राजनीति की संकरी गलियों में गुमराह किया जा सकता है। राजनीति में सक्रिय भय लेकर वह अपने नैतिक व बौद्धिक प्रगति के आधारभूत कर्तव्यों के प्रति वह विद्यार्थी के रूप में वचनबद्ध है, की अवेहलना करता है। इस प्रकार, इसकी राजनीति में सहभागिता उसकी शिक्षा की नहीं वरन्, सम्पूर्ण वृत्तिक की कीमत पर होगी। यह वह अवस्था है जब उसमें, विद्यार्थी जीवन के पश्चात् ‘कुछ’ बनने के लिए कठिन परिश्रम करना है। यदि यह स्वर्णिम अवधि नष्ट कर दी गयी तब शेष जीवन में पछतने के सिवाय कुछ न बचेगा। 

छात्रों की राजनीति में भूमिका 

इस प्रकार विद्यार्थियों को स्वस्थ राजनीतिक शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। स्कूल तथा कॉलिज विद्यार्थियों को इस बात के लिए पूर्ण सुविधा प्रदान करें कि वे अपने देश के समस्त प्रमुख राजनीतिक प्रश्नों का सत्य व गहन ज्ञान प्राप्त कर सकें। उन्हें राजनीतिक मामलों पर वाद-विवाद करने तथा अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए तथा उन्हें अपने माता-पिता, अध्यापकगण तथा राजनीतिज्ञों के द्वारा बुद्धिमानी युक्त तथा देशभक्तिपूर्ण मार्गदर्शन की आपूर्ति की जानी चाहिए। वे न केवल देशों को वरन् सम्पूर्ण महाद्वीप को तथा कभी-कभी विश्व के प्रभावित करती है। फिर भी विद्यार्थियों को राजनीतिक आन्दोलन में सहभागिता के सम्बन्ध में इस पर कुछ सीमायें रखनी होंगी। 

छात्र राजनीति का नुकसान

यह कहा जा सकता है कि राजनीति को ‘वर्जित फल’ माना जाना चाहिए  अन्यथा यह विद्यार्थियों को अधिकाधिक ललचायेगी। वे किसी न किसी प्रकार चोरी -चोरी इसका स्वाद लेने का प्रयास करेंगे। पुनः, उन्हें उस समय जब वे बड़े हो जायेंगे जब महान बोझ को वहन करना वे राष्ट्रीय और अन्तर्राष्टीय स्तर पर होने वाली घटनाओं से न तो अनभिज्ञ रखे जा सकते हैं और न ही उन्हें ऐसा रखा जाना चाहिए। अतएव उन्हें राजनीतिक ज्ञान प्रदान किया जाना चाहिए। यह स्पष्ट रूप से जान लिया जाना चाहिए कि राजनीतिक ज्ञान एक चीज है तथा राजनीतिक आन्दोलन दूसरी चीज है। राजनीतिक ज्ञान का अर्थ है उनकी बौद्धिग प्रगति, पर राजनीतिक आन्दोलन उनके पूर्ण नाश को सूचित करता है। हमें यह विदित है कि वे पर्याप्त रूप से परिपक्व नहीं हैं अपनी आयु व भोलेपन के कारण वे स्वार्थी समूहों द्वारा सरतापूर्वक ठगे व छले जा सकते हैं। राजनीति इतना बड़ा शिकार है कि युवा स्त्री-पुरुष अपनी अर्द्ध-विकसित शक्तियों से इसे नहीं खेल सकते। उन्हें इससे दूर रखा जाना चाहिए कि कहीं ऐसा न हो कि वे स्वयं ही खेल के शिकार हो जायें। 

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