डर्टी वीमेन

डर्टी वीमेन ( गन्दी   औरत )

डॉ संगीता गांधी
डॉ संगीता गांधी
समय के  साथ साथ कुछ प्रथाएं  नए रूप में  जन्म लेती हैं । उनके स्वरुप , नियम निर्धारित नहीं होते । वो शास्त्रसम्मत लिखित न होकर  परिवेश की उपज होती हैं ।” सरोगेट  मां ” –ये प्रथा कहें या वक़्त की जरुरत  ,आज  के  समय का  ये भी एक सच है ।
              माला जल्दी जल्दी बर्तन धो रही थी ।शर्मा जी के घर का काम करके उसे अभी दो घर और करने थे । कमरे से  मुन्ने के रोने की आवाज़ आयी ।शर्मा जी की बहू शायद बाथरूम में  थी ! माला ने जा कर मुन्ने को चुप कराया ।बड़ा प्यारा बच्चा था । …अचानक माला को अपने बेटे की याद आ गयी ।एक बार ही तो देखा था उसे ! एक दम गोरा ,गोल -मटोल था । गोद में लेना भी नसीब नहीं हुआ था !…… 6 साल पहले माला के पति की एक्सीडेंट में मौत हो गयी थी । ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया ।दो बेटियों  के साथ मायके आ गयी ।पढ़ी लिखी थी नहीं ।मायके में भाभियों ने जीना मुश्किल कर दिया ।हार कर कुछ घरों में बर्तन -सफाई का काम करने लगी ।एक दिन बड़े भाई ने साफ फरमान सुना दिया– अपने रहने का इतंजाम कर लो ! हम यहां ओर नहीं रख सकते ।
माँ -पिताजी की भी उसके साथ मौन स्वीकृति थी । चुपचाप एक झुग्गी बस्ती में आ गयी ।……
…बच्चियों को किसी तरह सरकारी स्कूल में डाल दिया । घरों के काम से दो वक़्त की रोटी चलने लगी । माला चाहती की किसी तरह एक छत मिल जाये तो  बच्चियां सुरक्षित हो जाएं ।झुग्गी – बस्ती में उसे सदा बच्चियों की सुरक्षा की चिंता लगी रहती ।
एक दिन नगर निगम अस्पताल दवाई लेने गयी ।वहां की एक वर्कर ने  बाद में मिलने बुलाया ।काम खत्म  कर माला उस से मिलने गयी । वर्कर ने कहा एक काम है ..करोगी तो बहुत पैसे मिलेंगे ।तुम छोटा सा घर ले पाओगी ।काम क्या है ? माला ने पूछा ! …….तुम्हें  सेरोगेट  मां बनना है ।……..
ये क्या होता है ? माला ने पहली बार ये नाम सुना था । ….
तुम्हे किसी ओर के बच्चे को अपनी कोख में रखना है । शहर के बहुत बड़े रईस हैं ,उनकी पत्नी माँ नहीं बन सकती ।उन्हें बच्चा पैदा करके देना है ।…माला अचंभित थी !ऐसा भी होता है क्या ? नहीं वो ऐसा नहीं करेगी ।……वर्कर ने समझाया बस एक साल लगेगा कुछ टेस्ट होंगे , तुम्हारे रहने ,खाने का पूरा ध्यान रखा जायेगा ।पैसे मिलेंगे  ,तुम्हारी परेशानी  दूर हो जायेगी ।…….
माला घर आ कर सोचने लगी ।बच्चियां खेल रहीं थी ।उनका भविष्य कैसा होगा ये चिंता सदा माला को लगी रहती थी। माला ने फैसला किया वो ये काम करेगी ।बच्चियों के भविष्य के लिए वो ये जरूर करेगी ।
माला को एक बड़े सेण्टर ले जाया गया ।कई टेस्ट हुए। 2 महीने बाद माला के गर्भ में सन्तान थी ।उसे रहने को एक फ्लैट दिया गया । खाने .पीने की पूरी सुविधा । बच्चियां वहीँ से स्कूल जाती थीं ।9 महीने बाद माला ने सुंदर  लड़के को जन्म दिया ।बस एक नज़र ही देख पायी थी बच्चे को ।
5 दिन बाद हस्पताल से  छुट्टी मिल गयी । पैसा भी  उसके पास पहुँच गया ।माला ने उस पैसे से एक कमरे का घर ले लिया ।कुछ पैसा बैंक में बच्चियों के लिए रख दिया। 
अब वो कई घरों में काम करती थी ।बच्चियां अच्छे से पढ़ रहीं थीं ।5 साल बीत गए थे ।माला को कभी 2 बच्चे की याद आती उसे देखने का मन करता पर  किस हक़ से जाती ? और कौन मिलने देता ? ।माला शर्मा जी के घर से काम खत्म कर निकल गयी ।
एक दिन माला   की बड़ी बेटी  को  स्कूल में इनाम मिला । माला  बहुत खुश थी ।उस दिन माला दोनों बेटियों को लेकर मॉल गयी ।पहली बार  मॉल गयी थी ।कपड़े  साधारण थे । पर मन में ख़ुशी थी । माला ने बच्चियों को ice 🍧 creme लेकर दी ।  खुद वहां  बैठ गयी ।तभी उसकी नज़र एक महिला और उसके बच्चे पर पड़ी ।अचानक चौन्क  गयी ….अरे ये तो वही महिला है जिसके लिए उसने  बच्चा पैदा किया था ।……उसके साथ 5 साल का खूब सुंदर  बच्चा था ।एक दम राजकुमार शैतान ,इधर उधर भाग रहा था । माला के मन में ममता का सागर उमड़ने लगा ।उठ कर बच्चे के पास गई ओर बड़े प्यार से उसके सर  पर हाथ रखा । ………बच्चे ने तुरंत उसका हाथ झटक दिया ….जोर से गुस्से में बोला – you dirty women ,get lost !  माला की बेटियां भी वहां आ गईं थीं ….वो बोली – मम्मी ये आपको ……गन्दी औरत  कह रहा है ।
माला  पत्थर की तरह  सुन्न  खड़ी थी ।



……………….डॉ संगीता गांधी
अध्यपिका और सामाजिक कार्यकर्ता ।

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