विश्व तम्बाखू निषेध दिवस

 विश्व तम्बाखू निषेध दिवस 

 दोहे
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तम्बाखू मुंह मे रखें, आती मौत करीब।
अपने पीछे छूटते, बनते लोग गरीब।
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विश्व तम्बाखू निषेध दिवस
गुटका पान चबाय के, लोग दिखाते शान।
सिगरेटों की आग में ,टूटे सब अरमान।
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लतें तम्बाखू से भरी,बहुत बुरी श्रीमान।
केंसर कोढ़ बुलाय के, लोग गंवाएं जान।
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जीवन ये अनमोल है, नशा बिगाड़े बात।
तन मन को जर्जर करे, घर मे दुख बरसात।
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पान तम्बाखू छोड़ कर, काम करो तुम नेक।
जीवन सुखद बनाय के,खुशियां चुनो अनेक।
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    *कुंडलिया*

गुटखा पान चबाय के,लोग दिखाते शान।
सिगरेटों की आग में,टूटे सब अरमान।
टूटे सब अरमान,केंसर द्वार को तांके।
हृदय रोग तड़फाय, मौत आंखों में झांके।
कह सुशील कविराय,नशा देता है झटका।
नशा नाश का मूल, मत चबा खैनी गुटखा।
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– सुशील शर्मा

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