महक उठे हर बगिया खुशबू से, वो वसंत कभी तो आएगा !
नव पल्लव फूटेंगे कोपल से
जग हरा भरा हो जायेगा !!
भाई के रक्त का प्यासा न कोई भाई होगा ,
प्राण के लिए प्राणी न कोई कसाई होगा ,
न हो खवाबों का खून किसी के ,
वो स्वप्न कभी तो आएगा !महक उठे हर बगिया खुशबु से ,
वो वसंत कभी तो आएगा .
नव पल्लव फूटेंगे कोपल से जग हरा भरा हो जायेगा !!
न सड़कों पे कोई लाचार मिले
सबको अपने हिस्से का अपना प्यार मिले
जाति वर्ण का भेद मिटे , वो त्यौहार कभी तो आएगामहक उठे हर बगिया खुशबु से
वो बसंत कभी तो आएगा !
नव पल्लव फूटेंगे कोपल से जग हरा भरा हो जायेगा !!
बहुत दुशासन आ गए गए धरा पर
फिर बढ़ाने चीर किसी की , वो कृष्ण कभी तो आएगा !
महक उठे हर बगिया खुशबु से , वो बसंत कभी तो आएगा
नव पल्लव फूटेंगे कोपल से
जग हरा भरा हो जायेगा .!!