वो हँसते हँसते

वो हँसते हँसते


कितने अरमां छुपा गये वो हँसते हँसते,
कुछ भेद छुपा गये वो हँसते हँसते!!
जब रूबरू होते है तो इक ही सवाल करते है,
इक रंगीन उलझन दे गये वो हँसते हँसते!!
वो हँसते हँसते
परिचय भी तो नही है उनका इंतजार करे,
कुछ रिश्ता सा बना गये वो हँसते हँसते!!
हम दर्द से अभी तक उबर भी नही पाये थे,
इक और हसीन दर्द दे गये वो हँसते हँसते!!
हम खामोश रहे या कुछ कर बैठे उनके लिए,
कुछ सीने में आग लगा गये वो हँसते हँसते!!
अगर अब वो मिल जाय तो जन्नत को सजदे,
कुछ ऐसे हाथ छुडा ले गये वो हँसते हँसते!!

कुछ दर्द खा लेता हूं 

भूख में अक्सर कुछ दर्द खा लेता हूं!
कुछ कहूं या ना कहूं कुछ दर्द सुना लेता हूं!!
हमें कुछ मिलनें का रंज नही है दोस्तों,
कहीं से गुजरा कुछ दर्द उठा लेता हूं!!
जब भी सच आता है जुबां पर मेरे,
लोगों से इनाम में कुछ दर्द पा लेता हूं!!
जिन्दगी के रेस में मोहब्बत तो थक गया,
गिरकर भी मैं कुछ दर्द चला लेता हूं!!
हम अपने जख्म का सबूत कहां से लाये,
बस आंखों में कुछ दर्द दिखा लेता हूं!!
मोहब्बत के लहरों में हमेशा डूब जाते है,
जज्बों के कस्तियों में कुछ दर्द बहा लेता हूं!!

– राहुल देव गौतम 

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