इंडियन विकिपीडिया » सामान्य ज्ञान » शरण में जन, जननि – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” शरण में जन, जननि – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” Updated on September 3, 2023 by Indian Wikipedia Share Facebook Twitter Pinterest Linkedin WhatsApp अनगिनित आ गये शरण में जन, जननि-सुरभि-सुमनावली खुली, मधुऋतु अवनि!स्नेह से पंक – उर हुए पंकज मधुर,ऊर्ध्व – दृग गगन में देखते मुक्ति-मणि!बीत रे गयी निशि, देश लख हँसी दिशि,अखिल के कण्ठ की उठी आनन्द-ध्वनि।