दो बिल्लियां और एक रोटी का टुकड़ा

बंदर और बिल्लियां


गड़ रहीं थीं दोनों बिल्ली
रोटी एक कहीं से पाकर।
शमी वृक्ष पर बैठा बन्दर
देख रहा था उनको झुक कर।

दो बिल्लियां और एक रोटी का टुकड़ा

उतर पेड़ से नीचे आया
पहुंचा एक वणिक के पास।
कांटा एक उठाया उसने
चला वहां से लेकर साथ।
रोटी लेकर उनसे बोला
न्याय तुम्हारा मैं करता।
इसके दो टुकड़े करके
समक्ष तुम्हारे कांटे धरता।
रोटी के दो टुकड़े कर
न्याय नाम पर उसको खाई।
दुःखी हुई वे दोनों बिल्ली
रोटी बन्दर हाथ गंवाई।
आपस में क्यों झगड़ा करते
मिल बैठकर हल को पाओ।
रहो सचेत तुम चालाकों से

अपनी गांठ की नहीं गंवाओ।




– विनय मोहन शर्मा,
सेवा निवृत्त सहायक प्रशासनिक अधिकारी
2/124 A, विवेकानंद नगर, अलवर मोबाइल – 7737670738

You May Also Like