शांति के लिए युद्ध आवश्यक है

शांति के लिए युद्ध आवश्यक है


क्या शांति के लिए युद्ध आवश्यक है ? Shanti ke liye Yudh avashyak hai War for Peace Hindi क्या हिंसा कभी शांति को प्रोत्साहित कर सकती है war is necessary for peace essay can war bring peace – आज संसार में विज्ञान के अविष्कारों तथा इनके द्वारा कल्याण के साधनों में एक प्रकार से होड़ सी लगी हुई है। वैज्ञानिकों द्वारा मोटर ,ट्रक ,कार ,वायुयान तथा रेल आदि अविष्कार किये गए हैं। राकेट के द्वारा चंद्रयात्रा भी मानव ने की है। चिकित्सा क्षेत्र में भी विज्ञान ने बहुत प्रगति की है। विज्ञान से  जहाँ इतने लाभ हुए हैं वहां हानियाँ भी कुछ कम नहीं हुई है। बन्दूक,रिवाल्वर,मशीनगन टैंक ,डायनामाईट ,पनडुब्बी माईन,विमान भेदी तोपें ,बम वर्षक वायुयान ,विषैली गैसें ,परमाणु बम और हाइड्रोजन बम आदि संहारक अस्त्र भी विज्ञान की ही देन है। इन सभी संहारक अश्त्रों का प्रयोग युद्ध के समय में ही होता है। 

क्या युद्ध आवश्यक है ?

शांति के लिए युद्ध आवश्यक है
शांति के लिए युद्ध

अब प्रश्न उठता है कि क्या युद्ध आवश्यक है ? इसके उत्तर दो हो सकते हैं कि युद्ध आवश्यक है भी और नहीं भी। युद्ध आवश्यक उसी दशा में होता है जबकि अपने देश पर आक्रमण किया गया हो या अपने देश के आंतरिक मामलों में कोई देश दखल दे रहा हो या आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा हो या आतंकवाद को बढ़ावा देकर देश को तोड़ने का प्रयास कर रहा हो। इन अवस्थाओं में तो युद्ध अनिवार्य हो जाता है। फिर भी उसे टालने का हर संभव प्रयास किया जाता है। युद्ध आवश्यक इसलिए नहीं है क्योंकि युद्ध की विभीषिका ह्रदय को कंपा देती है। जन और धन की हानि तो होती ही है साथ ही देश की प्रगति कई वर्षों के लिए रुक जाती है। युद्ध एक प्रकार से गरीबी को निमंत्रण देता हुआ आता है। 

युद्ध का अभिशाप 

कभी कभी जब युद्ध आवश्यक हो जाता है तो चाहे वह अभिशाप ही क्यों न हो लड़ना पड़ता है। महाभारत का युद्ध पांडवो के लिए आवश्यक हो गया था। पांडवों ने बहुत कोशिश की कि युद्ध न हो पर दुर्योधन की हठ और मद के कारण युद्ध आवश्यक हो गया। इस युद्ध में भयानक अश्त्रों का प्रयोग हुआ। लाखों वीर युद्ध में काम आये। कौरव भी एक एक करके नष्ट हो गए। इस प्रकार राम को भी रावण से युद्ध करना पड़ा।  सन १९४५ में द्वितीय महायुद्ध में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों से उन शहरों का नामोनिशान मिट गया था। परमाणु बम का असर अब भी वहां के संतानों की भुगतना पड़ रहा है। सन १९७१ में ,भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ ,जिसमें की पाकिस्तान की हार हुई और उसके करीब १ लाख सैनिकों को बंदी बनाया गया और सभी बांग्लादेश का अभ्युदय हुआ। यह सब आवश्यक हुआ तभी करना पड़ा। दोनों ओर से हजारों सैनिक मारे गए। अभी पिछले सालों में और भी लड़ाईयां लड़ी गयी जिसमें सबसे भयानक युद्ध था ईराक और संयुक्त सेनाओं के बीच ,कारण था ईराक द्वारा कुबैत पर नाजायज कब्ज़ा। अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बार – बार चेतावनी देने पर भी जब ईराक ने कुवैत को स्वतंत्र नहीं किया तो अमेरिका को युद्ध का सहारा लेना पड़ा। यह सब ईराक के कुवैत पर कब्ज़ा करने के कारण हुआ। युद्ध की भयंकर आग ने ईराक को चारों ओर से लपेट लिया। भयंकर बम वर्षा ईराक को प्रायः नष्ट ही कर दिया था। आखिर में ईराक को कुबैत छोड़कर जाना ही पड़ा। यह युद्ध अभिशाप था पर अनिवार्य हो गया था। विज्ञान ने इतने भयंकर परमाणु बम तथा हाइड्रोजन बमों का निर्माण कर लिया है कि कुल पांच बम इस सारी श्रृष्टि को समूल नष्ट करने में सक्षम है। जहरीली गैसों का भी युद्ध स्तर पर प्रयोग किया जा सकता है। पनडुब्बी युद्धकाल में जलयानों को नष्ट कर देती है। 

शांति स्थापित करने के लिए युद्ध आवश्यक 

अब हमें यह प्रयास करना है कि अब दुनिया की दशा हिरोशिमा और नागासाकी जैसी न हो। विश्वबंधुत्व की भावना संसार में फैले। मानव में आध्यात्मिक गुणों का विकास होना चाहिए। जो आनंद त्याग में है ,किसी की भलाई में है ,वह स्वार्थपूर्ण सुख में नहीं मिलता है। यदि हम पुनः सत्य ,न्याय ,सहानुभूति ,संवेदना ,प्रेम आदि दिव्य भावनाओं के साथ विज्ञान का समनवय करें तो यह मानवता तथा विश्व के लिए अधिक कल्याणकारी सिद्ध हो सकेगा। अतः विज्ञान के अविष्कारों को लोक मंगलकारी कार्यो में ही लगाना चाहिए ,युद्ध जैसे विनाशकारी कार्यो में नहीं। इससे ज्ञात होता है कि शांति स्थापित रखने के लिए भी युद्ध करना पड़ता है। 

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