शिक्षा की महानता

  शिक्षा की महानता

एक समय था कोसों दूर विद्यालय नहीं थे  I थे भी, दो- चार गाँवों के बीच I बच्चों को पढ़ने लिखने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता I सुबह घर से पैदल निकलना,शाम तक घर पहुँचना I
       समय के साथ सब बदल गया परेशानियाँ दूर होती चलीं गईं I अब विद्यालयों की भरमार है गली गली में I आने ले जाने के लिए वाहनों की भी कोई कमी नहीं है I ढेरों सुविधाएँ आज के विद्यालय उपलब्ध करा रहे हैं ताकि बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सकें I
       मैं रास्ते से गुजर ही रहा था कि एक बच्चा करीब आठ साल का धूल में लिपटा चिलचिलाती धूप में खेल रहा I वह इतना मस्त था कि धूप धूप उसके लिए कुछ भी नहीं I  मेरा पसीने से बुरा हाल हुआ जा रहा I
       “बेटा तुम इतनी धूप में खेल रहे हो ,धूप नहीं लगती I “
       “लगती है अंकल, पर खेल में मजा आता है I ”   
       “अच्छा ये बताओ ,पढ़ने नहीं जाते हो I “
       “नहीं अंकल I “
       “क्यों ?”
       “क्योंकि ?मेरे पापा के पास इतने पैसे नहीं हैं I
       “अच्छा तुम्हारे पापा क्या करते हैं I “
       “अंकल वो मजदूरी करते हैं I “
       “तो बीड़ी  तम्बाकू  भी पीते होंगें I “
       “तुमको कैसे पता अंकल ,मेरे पिता दिन भर में ढेरों बण्डल फूँक देते हैं I “
        मुझे बच्चे की बात का बुरा नहीं लगा किन्तु उसका पिता ढेरों बीड़ियाँ तम्बाकू हजम कर जाते हैं ,अपने बच्चे को नहीं पढ़ा सकते I ये बात मेरे दिमाग में दौड़ गई I बीड़ी तम्बाकू से कई गुना सस्ती है हमारी पढाई I अगर हिसाब लगाए जाए साल भर में हजारों रुपये यूँ हीं व्यर्थ बीड़ी तम्बाकू पर खर्च कर देते हैं जिसका कुछ भी हल नहीं I अगर पढाई का हिसाब लगाया जाय तो कही अधिक सस्ती है I आसानी से अपने बच्चों को पढ़ाया जा सकता है I
        हमें अपनी सोच बदलनी होगी हमें अपना पथ बदलना होगा तभी अपने  बच्चों को आगे बढ़ाया जा सकता है I विद्यालय शिक्षा ग्रहण करने का साधन है I मंदिर है I जिसमें सभी लोग माँ सरस्वती की पूजा करते हैं I उच्च वर्ग के लोग हों या निम्न वर्ग के ,समान अधिकार सबको है I
        मैं क्या बताऊँ अपनी शिक्षा के बारे में I घर से दूर एक विद्यालय हुआ करता था I सुबह विद्यालय जाना शाम को लौटना काफी मशक्कत की पढाई थी I रास्ता भी सूमसाम भरा डरावना, ऐसा लगता किस वीराने में हम जा रहे हैं I 
        पालकों को बच्चों की तरफ देखना चाहिए I शिक्षा से ही विकाश संभव है न कि अशिक्षा से I अशिक्षा अंधकार की  तरफ ले जाती है और शिक्षा उजाले की तरफ I आज के पढ़े लिखे बच्चे तुम्हारा नाम रौशन कर सकते हैं I दुनिया में पहचान दिला सकते हैं I
        सभी पढ़ेंगे, पढ़ा लिखा समाज होगा I विकाश होगा I खुद की प्रगति होगी देश महान बनेगा I अंधकार हटेगा प्रकाश की नई किरण झूमती दरवाजे पर दस्तक देगी I तब हम अव्वल होंगे I हर समस्या का समाधान खुद ही निकाल लेंगें I अच्छे बुरे की परख ,क्रूरता का निधन होगा I हम महान होंगे I  समाज महान होगा I  देश महान होगा I

यह
रचना अशोक बाबू माहौर जी द्वारा लिखी गयी है . आपकी विभिन्न पत्र –
पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी है . आप लेखन की विभिन्न विधाओं में
संलग्न हैं . संपर्क सूत्र –
ग्राम – कदमन का पुरा, तहसील-अम्बाह ,जिला-मुरैना (म.प्र.)476111 ,  ईमेल-ashokbabu.mahour@gmail.com

You May Also Like