स्पेनिश उपन्यास के बांग्ला अनुवाद का हुआ आभासीय लोकार्पण

स्पेनिश उपन्यास के बांग्ला अनुवाद का हुआ आभासीय लोकार्पण 

कोलकाता। देश- विदेश की विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के बीच सेतु-बंधन के लिए अनुवाद करने की जरुरत को अमली जामा पहनाने के लिए 2019 में स्थापित  कोलकाता ट्रांस्लेटर्स फ़ोरम ने इसी क्रम में अर्जेंटीना की चर्चित लेखिका ग्लादिस मर्सिडीज असीवेदो के स्पैनिश उपन्यास का सीधे हुए बांग्ला अनुवाद और उसका आभासीय माध्यम से लोकार्पण कराया। इस ऐतिहासिक उपन्यास का बांग्ला अनुवाद फ़ोरम की ही सदस्या और बांग्ला अकादमी के लीला राय पुरस्कार से सम्मानित लेखिका जय चौधरी ने किया- कामिलार तीनटी मृत्यु!  इससे पूर्व भी जया कई विदेशी रचनाओं का बांग्ला अनुवाद कर प्रशंसित हो चुकी हैं। 
फ़ेसबुक लाइव और स्ट्रीम यार्ड के माध्यम से प्रसारित जा किए गए इस कार्यक्रम में फ़ोरम के अध्यक्ष एवं हिन्दी अकादमी के सदस्य साहित्यकार रावेल पुष्प ने अर्जेंटीना से जुड़ी उपन्यास की मूल लेखिका ग्लादिस तथा देश-विदेश से जुड़े  सभी लेखकों तथा श्रोताओं का जहां स्वागत किया वहीं संस्था की सचिव और कथाकार तृष्णा बसाक ने  फ़ोरम की स्थापना से लेकर आज तक हुए कार्यक्रमों की जानकारी दी।
स्पेनिश उपन्यास के बांग्ला अनुवाद का हुआ आभासीय लोकार्पण

संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष तथा साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित लेखक श्यामल भट्टाचार्य ने अनूदित उपन्यास की मूल लेखिका ग्लादिस के बारे में बताया कि वे एक लातिनी लेखिका हैं और कानून की पढ़ाई पढ़ने के बावजूद साहित्य के प्रति गंभीर रूप से आकृष्ट हुईं।  उनके कई उपन्यास तथा कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं तथा उनका यह उपन्यास एक सत्य घटना पर आधारित है ,जिसमें एक पादरी और अभिजात्य वर्ग की कन्या की प्रेम- कथा है, जो उस दौर में सर्वथा अकल्पनीय बात थी जबकि तत्कालीन शासक के जरा- सा भी प्रतिकूल बात होने पर मृत्यु अवश्यंभावी थी। उन्होंने एक महत्वपूर्ण साहित्य संस्था तथा एक म्यूजियम की भी स्थापना की है, जो आज वहां पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है।

इस उपन्यास के प्रकाशन में इंडो स्पैनिश लैंग्वेज अकादमी की भूमिका भी उल्लेखनीय रही। फ़ोरम की संयुक्त सचिव नवनीता सेनगुप्ता के संचालन में हुए इस आभासीय कार्यक्रम में अर्जेंटीना से जुड़ी उपन्यास की मूल लेखिका ग्लैडिस मर्सिडीज असीवेदो ने इसकी रचना प्रक्रिया के बारे में तथा मूल चरित्र की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर विस्तार से चर्चा की और  किसी भारतीय भाषा में इसके अनुवाद तथा इस तरह लोकार्पण पर खुशी का इज़हार किया।
इस पूरे कार्यक्रम में दुभाषिए की भूमिका जया चौधरी बखूबी निभाती रहीं। कार्यक्रम में प्रश्न-सत्र के दौरान सौम्यजीत आचार्य, फटिक चौधरी, सुधांशु रंजन साहा, संजीवन मंडल तथा अन्य द्वारा पूछे गए प्रश्न कार्यक्रम को जीवंत बनाए रहे।
गौरतलब है कि इस कार्यक्रम की सारी कार्यवाही साथ ही साथ उन देशों में स्पैनिश भाषा में अनूदित होकर प्रसारित होती रही,जो दोनों देशों के बीच भाषा- सेतु और मैत्री-बंधन का एक मजबूत कारण भी बनती रही।

– रावेल पुष्प

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