तक्षक एक महा योद्धा

तक्षक एक महा योद्धा

हर सच्चे धड़कनों में भी
आज कहता है।
मेरे अतीत में भी
इतिहास रहता है।
यह कहानी है एक योद्धा की, लगभग 712 में मोहम्मद बिन कासिम ने भारत पर आक्रमण किया था। उसके बाद आक्रमण नहीं हुआ।ऐसा क्यों हुआ होगा, क्या आपने जानने की कोशिश की, मैं बताता हूं यह एक महा योद्धा तक्षक के कारण हुआ।जब युद्ध हुआ तो तक्षक के पिता प्रतिहार वंश के राजा के एक सैनिक थे, जो युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए।
कहते हैं कि मोहम्मद बिन कासिम ने बहुत से मंदिर तोड़े, बाद में कहीं जुल्म किए। जब तक्षक पांच साल का था तो मोहम्मद बिन कासिम के सिपाही लूट मचाते हुए उसके घर तक आए तथा उसकी मां तथा उससे बड़ी बहनों को जबरदस्ती ले जाना चाहा लेकिन उसकी मां ने पहले उनको मार दिया और अपने बेटे से कहा कि बेटा तू पीछे के रास्ते से भाग जा और मां ने फिर अपने को मार दिया।तब तक्षक ने कहा था” आज मैं छोटा जरूर हूं; बड़े होकर में तुम अरबी उसे चुन -चुन कर बदला लूंगा।”
तक्षक एक महा योद्धा
तक्षक एक महा योद्धा
तक्षक अनाथ हो गया तथा भटकते- भटकते किसी ऋषि के आश्रम में चला गया वहां एक युद्ध कला की शिक्षा दी जाती थी उस बालक ने अपने परिश्रम से सारी युद्ध कलाएं सिख ली थी।
“जाने कैसी युद्ध कलाएं
कैसा रहा था भेष।
आज कहानी पाषाण में
दबे हुए अवशेष।”
जब तक्षक पूरे 30 वर्ष का हो गया तो विदेशियों का आक्रमण फिर से हो गया। उस समय गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक राजा नागभट्ट थे जिनको हरिश्चंद्र भी कहते थे वे एक दानवीर तथा न्याय प्रिय शासक भी थे।राजा नागभट्ट ने गुप्त रूप से एक बैठक बुलाई थी जिसमें सारे सैनिक , बड़े-बड़े मंत्री उपस्थित थे।राजा ने सबसे राय ली किसी ने कहा कि “महाराज हमें अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करना चाहिए।
(सभी ने अपनी -अपनी राय दी सब की राय लेने के बाद तक्षक ने कहा)
आप सभी का हो गया अब मैं देता हूं।
तक्षक -“महाराज ये बताओ कि उनकी सेना तो एक महान समुद्र है हम तो एक छोटी सी नदी कब शमा जाएंगे पता ही नहीं चलेगा।
मंत्री बोला -तक्षक तुम महाराज के सेनापति हो तुम्हें यह बातें शोभा नहीं देती।
तक्षक ने कहा -“जैसे तारे दिन में भी होते हैं लेकिन देखते नहीं है लेकिन है तो सही यह बात भी सत्य है तो जो मैं कह रहा हूं वह भी सत्य है।”
तक्षक ने कहा – “महाराज आप मुझे 15000 सैनिक दे सकते हो
नागभट्ट-“ठीक है दिए, तुम अश्वों  के साथ 5000 की एक टुकड़ी भी ले जाओ
तक्षक ने कहा “महाराज हम पैदल जाएंगे क्योंकि अगर अश्वों के साथ जाएंगे तो शत्रु को हमारे आने की आहट का पता चल जाएगा।रात को तक्षक के 15000 सैनिक लाखों विदेशियों के सैनिकों पर अचानक टूट पड़े ।
तक्षक ने अपने सैनिकों का आदेश दिया था कि अंधेरे में तुम्हें जो भी मिले उसको मार डालना कतई दया मत करना क्योंकि अगर हमने दया की तो यह फिर आएंगे और हमारे मंदिरों को तोड़ेंगे कई बहनों को हरम में ले जाएंगे।तक्षक -“इन विदेशियों के शवों को अपनी सीमा के बाहर एक पर्वत आकार बना दो और उसमें अरबी भाषा में लिख दो कि “अगर किसी ने भी प्रतिहार वंश पर दोबारा आक्रमण किया तो उसका भी यही अंजाम होगा।”
राजा नागभट्ट बहुत खुश हुए , हुए स्वयं युद्ध के मैदान में रातो रात गए तथा अपनी खुशी जाहिर की ।
उन्होंने सभी सैनिकों को धन्यवाद दिया और तक्षक को भी देना चाहा” अचानक ऐसा क्या हुआ  राजा रो पड़े।”
“वहां देखा तो तक्षक का शव भी शवों के बीच पड़ा हुआ था।
इस युद्ध के बाद सभी विदेश आक्रमणकारियों को भय लगा रहता था कि अगर हमने आक्रमण किया तो हमारा अंजाम भी ऐसा ही होगा।
“आज ये नेता अगर तक्षक के गुणों को थोड़ा सा भी ले ले तो यह देश महान ही नहीं बल्कि महानतम बन जाएगा।”
“कितनी सुंदर भव्य कलाएं
जाने कैसा वैसा था।
विश्व गुरु के उच्च शिखर पर
मेरा भारत ऐसा था।”

– नरेंद्र भाकुनी
M.A (हिंदी इतिहास) ,बीएड

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