तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान/सूरदास के पद

सूरदास 

राग लारंग

तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान।


छूटि गये कैसे जन जीवै, ज्यौं प्रानी बिनु प्रान॥


जैसे नाद-मगन बन सारंग, बधै बधिक तनु बान।


ज्यौं चितवै ससि ओर चकोरी, देखत हीं सुख मान॥


जैसे कमल होत परिफुल्लत, देखत प्रियतम भान।


दूरदास, प्रभु हरिगुन त्योंही सुनियत नितप्रति कान॥ 

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