नंदिता का निर्णय सही था या गलत ?

सगाई

 

नंदिता आज अलमारी साफ करने बैठी तो एक पुरानी फोटो हाथ लग गई, वह फोटो देखते ही वह 80 के दशक में लौट के लौट गई.

वह बहुत खुश थी क्योंकि आज उसकी सगाई थी वह बहनों में दूसरे नंबर पर थी एक बहन बड़ी जिसकी शादी हो चुकी थी , और एक छोटी बहन जो अभी ग्रेजुएशन कर रही थी, तीन भाई थे तीनों नंदिता से बड़े थे दो की शादी हो चुकी थी एक भाई अभी कुंवारा था. आज सुबह से ही घर में बहुत चहल-पहल थी नजदीक के रिश्तेदार सब आ चुके थे पड़ोसी जो हमारे बहुत खास थे वह सब भी अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे नंदिता की खास सहेली रात में मेहंदी लगाकर जाकर शाम को फिर आ गई थी और तैयार करने में लगी थी लगभग सभी तैयारियां हो चुकी थी.

शाम को तय समय पर लड़के वाले भी अपने रिश्तेदारों के साथ आ चुके थे। सगाई मुहूर्त के हिसाब से समय पर संपन्न हो गई खूब हंसी मजाक हुआ फोटो खींचे गए, होने वाली सास खूब दुलार करके गई ,राजी खुशी सगाई हो गई.परंतु एक बात गौर करी गई , सगाई के वक्त लड़का थोड़ा असमंजस में था वह खुश नहीं दिख रहा था , यह सब बात करते-करते करीब 15 दिन बीत गए कि तभी लड़के वालों की तरफ से फोन आया कि पिताजी को अर्जेंट बुलाया है , पिताजी वहां गए और वहां से आने के बाद यह पता चला कि लड़का किसी और से शादी करना चाहता है यह सुनते ही सभी घरवालों के साथ-साथ नंदिता के भी जैसे हाथ से तोते उड़ गए .
नंदिता के खानदान में पहली बार किसी की सगाई इतने बड़े स्तर पर हुई थी , यह चर्चा जोरों पर थी , अपितु इस समस्या का समाधान खोजना था , क्योंकि लड़के वालों के यहां भी किसी लड़के की उनके खानदान में पहली शादी थी उनके चाचा-ताऊ में 9-10 लड़के थे उनको भी यह लग रहा था की पहली शादी टूट गई तो आगे क्या होगा यह सब सोचकर उनके बड़ों ने यह निर्णय लिया कि लड़के के छोटे भाई से शादी कर दी जाए लड़का चार भाई से था , दूसरे नंबर का भाई अलग शहर में रहता था दोनों की उम्र में भी अधिक अंतर नहीं था यह प्रस्ताव पिताजी को दिया गया , घर में यह प्रस्ताव सभी को लगभग समझ में आया.

सगाई
इधर जब से सगाई हुई थी और उसके बाद घर में लड़के के खुश ना होने की बात सामने आई थी तब से नंदिता ने बिस्तर पकड़ लिया था , कि यदि शादी तय समय पर नहीं हुई तो मां-बाप की कितनी बदनामी होगी छोटी बहन की शादी कैसे होगी यह सोच कर दुखी हो रही थी कि अब इस प्रस्ताव ने एक बार फिर नंदिता के दिमाग में खलबली मचा दी थी. बड़े से सगाई छोटे से शादी ,आमना-सामना होगा तो उसकी प्रतिक्रिया क्या रहेगी लोग क्या कहेंगे ? क्या वह खुश रह पाएगी ? या वह लड़का इस बात से सहज हो पाएगा कि जो कल उसकी भाभी होने वाली थी वह आज उसकी पत्नी बनने वाली है ? क्या उससे पूछा गया कि वह चाहता है शादी करना या नंदिता उस पर थोपी जा रही है कहीं उसके सपने पर पानी तो नहीं फिर जाएगा ? उसका भविष्य तो नहीं बर्बाद हो जाएगा ? 
यह सब सोचते – सोचते रात हो गई थी ,नंदिता भारी मन से उठी और रसोई का काम निपटाने लगी , क्योंकि शाम के 7:00 बजने वाले थे और यह ऑफिस से आने वाले थे आज वह उसी छोटे भाई की पत्नी थी और एक लड़की की मां थी.
आपको क्या लगता है नंदिता का निर्णय सही था या गलत ? उसने जो किया वही करना चाहिए था ? या फिर कुछ अलग ? हमारे समाज में आज भी लड़कियों की आजादी की बात की जाती है लेकिन सच में क्या वह आजाद है ? मैं यह प्रश्न आप पर छोड़ती हूं.
– संगीता शर्मा
गुलेरिया रेजीडेंसी, सुलेम सराय प्रयागराज 

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