बालकृष्ण राव का जीवन परिचय

बालकृष्ण राव का जीवन परिचय

बालकृष्ण राव Bal Krishna Rao balkrishna rao hindi poet biography श्री बालकृष्ण राव का जन्म इलाहबाद में सन १९१३ में प्रसिद्ध नेता सर सी.वाई.चिंतामणि के घर हुआ। इन्होने सन १९३७ में आई.सी.एस. की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। उसके पश्चात ये इंग्लैंड गए और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में कुछ समय तक शिक्षा प्राप्त की। 

बालकृष्ण राव का जीवन परिचय

श्री राव बचपन से ही काव्य प्रेमी थे। इन्होने छायावादी भावधारा की पहली कविता सन १९३१ में लिखी जो की माधुरी में प्रकाशित हुई। बाद में ये नयी कविता के साथ जुड़ गए। ये जीवन भर साहित्यिक गतिविधियों से जुड़े रहे। इन्होने कवि भारती का संपादन किया तथा मिल्टन की काव्य रचना का अनुवाद विक्रांत सैम्पन के नाम से किया जो की बहुत लोकप्रिय हुआ। इन्होने अंग्रेजी साहित्य के अनेक विषयों पर लम्बे समय तक लिखा। 

श्री राव आकाशवाणी के महानिदेशक पद पर रहे थे। इन्होने अनेक जाने माने कवियों और साहित्यकारों को आकाशवाणी से जोड़ा। इन्होने सन १९६० में प्रकाशित कादम्बिनी का संपादन किया। ये सुकवि समाज और हिन्दुस्तानी अकादमी के मंत्री रहे। हिंदी साहित्य संघ लखनऊ ,तथा केन्द्रीय हिंदी शिक्षण मंडल ,आगरा के अध्यक्ष भी रहे। ये हिंदी साहित्य सम्मलेन प्रमुख समिति के सदस्य रहे। इन्होने माध्यम नामक पत्रिका का संपादन भी किया। ये गोरखपुर तथा आगरा विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर भी रहे। सन १९७५ में इनका देवावासन हो गया। 

बालकृष्ण राव की रचनाएँ

श्री बालकृष्ण राव की निम्नलिखित प्रसिद्ध रचनाएँ हैं – 

अर्धशती ,कौमुदी ,आभास ,कवि और छवि ,राहबीती ,हमारी राह और विक्रांत सैम्प्सन इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ व काव्य ग्रन्थ है। 

बालकृष्ण राव की भाषा शैली 

ब्रज भाषा और खड़ी बोली में लिखी इनकी रचनाएं अत्यंत मनोहर बन पड़ी है। इनकी भाषा साफ़ सुथरी ,सधी और कसी हुई है। भावावेश की प्रधानता वाली रचनाएं अत्यधिक मनोहर बन पड़ी है। दूसरी ओर इनकी बौद्धिक कविताओं में सटीक बुनावट व कसावट है। आपकी शैली प्रवाहमयी ,चित्रात्मक एवं प्रभावशाली है जिसमें इनकी असाधारण प्रतिभा के दर्शन होते हैं। 

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