बेटियों से नौकरी

बेटियों से नौकरी 

बेटियाँ
बेटियाँ
आज भी ऐसे कई परिवार हैं जो अपनी बेटियों को इसलिए पढाते हैं  कि बेटियों की डिग्रियां बढ़ सके उनका ज्ञान बढ़ सके पर ये डिग्रियां और ज्ञान बेटी के खुद के लिए नहीं , न ही उनको स्वतन्त्र बनाने के लिए है बल्कि उसकी शादी के काम आती हैं । अच्छी डिग्रियां अच्छा वर । आज के समय में वर अपने लिए अच्छी खासी पढ़ी – लिखी वधू की मांग कर रहा है चाहे इस पढ़ाई लिखाई का उपयोग (जैसे नौकरी ) आगे चल कर हो या नहीं उन्हें  इस बात से मतलब नहीं मतलब है अपने स्टेटस को बरक़रार रखने के लिए एडुकेटेड वाइफ से  (ऐसा नहीं सभी वर ऐसा सोचते है क्योंकि आज अच्छी लाइफ स्टाइल के लिए दोनों का नौकरी करना जरूरी हो गया है , पहली पंक्ति में ही कहा गया है कई परिवार न कि सभी )।
ऐसे परिवार देखने को मिल जाते हैं जो अपनी बेटियों से नौकरी नहीं करवाना चाहते क्योंकि उन्हें अपनी बेटियों से नौकरी करवाने की जरूरत नहीं होती । पर क्या एक लड़की नौकरी सिर्फ अपनी भौतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ही करती हैं । हमें सुन कर तो यह बड़ा आरामदायक लगता है कि नौकरी करने की जरूरत ही नहीं आराम से मौज करो पर यह आरामदायक लगने वाला वाक्य असल में लड़की को कमजोर बनाता है ।
कई बार होता ये है कि परिवारजन की बेटियों को ज्ञान दिलवाने वाली बात उन्हीं पर भारी पड़ जाती हैं जब बेटियाँ अपनी किताबो और विकसित ज्ञान के आधार पर खुद को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से स्वतंत्र होना चाहे तब परिवारजन को अपनी आन , बान और शान पर चोट लगने का डर सताने लगता है । बेटियों को याद दिलाया जाता है कि ‘ हमने तुम्हे इसलिए नहीं पढ़ाया – लिखाया था कि तुम 10-15 हजार की नौकरी करो चंद रूपयों के लिए अपना ज्ञान बेचो’ हँसी आती है ऐसी सोच पर ।

– तृष्णा सागर

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