मेरी दुनिया में(१) – शोभा गुप्त

कभी फुर्सत मिले तो आना मेरी दुनिया में।
मेरी खातिर भी मुस्कुराना मेरी दुनिया में॥
तुम्हें हम याद कभी भूल कर नहीं आए।
फिर भी चर्चा है मगर तेरा मेरी दुनिया में॥
मेरी यादों में एक लम्हा अब भी ऐसा है।
गैरमुमकिन है भुला पाना मेरी दुनिया में॥
वो बीते लम्हे हमें अब भी याद आते हैं।
है सितारों का टिमटिमाना मेरी दुनिया में॥
बीते सावन में घटा झूम के जो आई थी ।
अब के सावन में है बरसाना मेरी दुनिया में॥
सवाल उठता है रह-रह वजूद पर मेरे।
जवाब अब भी पुराना है मेरी दुनिया में॥

यह रचना शोभा गुप्ता द्वारा लिखी गयी है। आप Eight Star Child Care Society की अध्यक्ष हैइनकी स्वतंत्र रूप से पत्रपत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है

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