मेरे लिए तुम्हारे यादों का एक संबल टूट गया

निशानी

ज अपने घर के, 
उस कच्ची दीवार को टूटते हुए देखा! 
एक बार बरसात के दिनों में
बारिश से बचने के लिए, 
हम-तुम पहली बार इसके अवलंब में
पास-पास बैठे थे, 
और उसके सीलन से, 
हमारे कपड़े नम हो गये थे, 
तुम्हें याद हो कि न हो, 
लेकिन मेरे लिए तुम्हारे यादों का
एक संबल टूट गया…! 
मेरे लिए तुम्हारे यादों का एक संबल टूट गया

एहसास

वो सबकुछ है मेरे पास
जिसकी वजह से,
तुम नही हो मेरे पास
लेकिन! 
यह जो सबकुछ है न
इन्हीं के वजहों से
तुम्हारे ना होने का “एहसास”
तो है……! 

मायनें

मैंने जब भी तुम्हें, 
अपनी ऑंखों के जलजलों में, 
ढूँढना चाहा… 
तुम मेरी उदास रातों की गहराई निकली! 
मैं किस मगरूर में था 
रिश्तों के लिबास में, 
वो मेरी रूह की आग की परछाई निकली! 
मेरे पास पैसे बहुत कम है, 
लेकिन उसे गिनता बहुत हूँ! 
इक तेरा रंज था, 
जिसे गिनता बहुत कम था, 
उसे अपने पास रखता बहुत हूँ! 

– राहुलदेव गौतम 

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