सारा आकाश उपन्यास में भाभी का चरित्र

सारा आकाश उपन्यास में भाभी का चरित्र

सारा आकाश उपन्यास में भाभी का चरित्र सारा आकाश उपन्यास में भाभी एक महत्वपूर्ण पात्र हैं .भाभी जी मध्य वर्गीय परिवार की जेठानियों का प्रतिनिधित्व करती हैं .वह परिवार पर अपना अधिपत्य रखना चाहती हैं. प्रभा की

सारा आकाश उपन्यास में भाभी
भाभी 

सुन्दरता और शिक्षा के प्रति उनके मन में ईर्ष्या भाव है . इसी कारण वह नहीं चाहती हैं कि समर और प्रभा के बीच मधुर सम्बन्ध स्थापित हो .उन्हें उपन्यास की खलनायिका के रूप में देखा जा सकता है . प्रभा की सुन्दरता ,शिक्षा तथा व्यवहार कुशलता अनपढ़ भाभी के ह्रदय में शूल की तरह चूभता है और उनके दामपत्य जीवन को मटियामेट करने हेतु वह कमर कस लेती है .वह सोचती है कि प्रभा के व्यक्तित्व के सामने उनका व्यक्तित्व बौना बनकर रह जाएगा .अपने उद्देश्य की सफलता के लिए वह निम्नलिखित कार्य करती हैं – 

  • सास श्वसुर का कान भरना और प्रभा के विरुद्ध करना .
  • समर को प्रभा के विरुद्ध उकसाना .
  • प्रभा के दाम्पत्य जीवन में विष घोलना .
  • प्रभा के गुणों पर दोषोरोपण करना . 
  • प्रभा के चरित्र पर कीचड़ उछालना . 
समर की भाभी इस कार्य के लिए सबसे पहले अपनी सास को साथ लेती है और संयुक्त मोर्चा बनाती है .फलत: भाभी और समर की अम्मा दोनों मिलकर उनके जीवन में विष घोलने का कार्य प्रारंभ करके जीवन वाटिका को झुलसा देती हैं .आगे चलकर समर भी इस योजना में आग में घी का कार्य करता और वह इस चाल को समझ भी नहीं पाता है .धीरे – धीरे स्थिति ऐसी हो जाती है कि समर प्रभा की पीड़ा उसके कष्टों और अपमान को देखकर आनंदित होता है .नयी बहु के रूप में जब प्रभा घर आती है तो लोग उसके सौन्दर्य की सराहना करते हैं और वह समर से कहती है – उसके चेहरे पर चेचक के दाग है .
इस कथन का अभिप्राय मात्र इतना था कि प्रभा समर तथा परिवार के अन्य सदस्यों की निगाहों से गिर जाए .
समर के घर का नियम था की ससुराल आने पर नयी बहु के हाथ से खाना बनवाया जाता है और सर्वप्रथम उसका पति खाना खाता था .प्रभा ने खाना तैयार किया .भाभी ने उसकी कुशलता को मटियामेट करने के लिए छिपकर अतिरिक्त नमक दाल दिया .भाभी की योजना सफल हो जाती है .समर खाना नहीं खाता है और थाली को पैर से ठोकर मार देता है .परिवार में चर्चा बन जाती है की बहु को खाना बनाने नहीं आता है .प्रभा के विरुद्ध समर को उत्तेजित करना भाभी की दिनचर्या बन जाती है .जब कभी अनजान में भी प्रभा से कोई भूल हो जाती है तो भाभी और सास दोनों मिलकर व्यंग वर्षा करने से नहीं चूकती थीं .छोटी – छोटी बातों के बीच प्रभा के मैके का ,उसके पिता का भी वे नाम घसीट लेते थे .इन कार्यों से वह पति द्वारा उपेक्षित रहती और ये दोनों आनंदित होती थी .
प्रभा के जीवन को कष्टमय बनाने के लिए वे उनके चरित्र पर कीचड़ उछालना भी नहीं भूलती हैं .प्रभा शिक्षित है .वह अपना हित अहित सब कुछ समझती है .घर के घुटनशील वातावरण से उब कर छत पर जाना वह बहुत अनुचित नहीं मानती है .परन्तु इसी को लेकर उसे कलंकिनी और चरित्रभ्रष्ट्र कहा जाता है .समर की माँ उस पर दोषारोपण करती हुई कहती है – 
सबसे बचकर अकेली अगर छत पर न बैठी रहे तो पड़ोसियों से नैना कैसे लड़े. “
भाभी प्रभा को दबाकर रखने के लिए समर को भरती है – 
“आ तो रही है ,लेकिन दबा के रखना लाला जी ,कह देती हूँ ,कसम से पछताओगे . “
इस प्रकार भाभी की बातें प्रभा के जीवन में पीड़ा और दुःख का बीज बोती हैं .यद्यपि प्रभा अपने मैके में जाकर अपनी ससुराल की की निंदा नहीं करती हैं परन्तु भाभी यह कहती हैं कि प्रभा ने यहाँ की बातें नमक मिर्च लगाकर जरुर कहा होगा . सारा आकाश उपन्यास में भाभी का चरित्र परिवार के विघटन में सक्रिय दिखाई पड़ती है .कुटिलता ,ईर्ष्या ,कटुता की वह प्रतिमूर्ति हैं .वह एकता को भंग करने और दूसरी स्त्री के जीवन को बर्बाद करने में आनंद पाती हैं .जब कभी उन्हें अवसर मिलता है ,प्रभा के विरुद्ध जहर उगलने से वह नहीं चुकती हैं . 
अतः हम कह सकते हैं कि सारा आकाश उपन्यास में भाभी का चरित्र एक खलनायिका के रूप में प्रस्तुत हुआ है ,जिसका सम्पूर्ण उद्देश प्रभा का पारिवारिक जीवन बर्बाद करना है .

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