हमें रक्त चाहिए मुंड चाहिए रक्त दो !

हमें रक्त चाहिए मुंड चाहिए रक्त दो !

क्त शरण तेरे जो जावे,
दु:ख दरिद्र निकट नहिं आवे।
तेरी भक्ति जिसमें आवे,
दानव उसको नहीं सतावे।।
राक्षस धरा उत्पात मचाये,
आदिशक्ति काली को बताएं।
बरछी भाला दैत्य  दिखावे,
चंडी चंड – मुंड मारने धावै।।
काली चंड – मुंड समझावै,
निशाचर को समझ ना आवै।
राक्षस युद्ध करने ही आयो,
भीषण शस्त्र शिवा पे चला यों!
शस्त्र उलट वापस ह्वय मारो,
सभी राक्षस को मार गिरायो।।
माया रूप चंड- मुंड बनायो,
काली प्रहार, दोनों को गिरायो।
लिए मूंड दोनों काली शिवदूती
माता भगवती को जा सोपीं।।
जब दुर्गा चामुंडा को समझायो,
राक्षस बध कीं चामुंडा निभायो।
महाकाल को काली नें पुकारा,
सेना सहित रक्तबीज को मारा।।
चिता पुत्र रक्तबीज लड़ने आयो,
तत्क्षण मां उसको मार गिरायो।
रक्तबीज की पूरी सेना मार्यो,
चामुंडा उसे भी सुविधा पहुंचायो।।
रक्तबीज रक्त की फिर सेना उठी,
दैत्य सेना भीषण युद्ध करनें लगी!
देवताओं ने भगवती से बिनती कीं,
माता युद्ध स्थल की समीक्षा लीन।।
दुर्गा निकालीं काली को मंत्र बताया,
रक्तबीज क रक्त घरा न गिरे सुनाया।
भगवती राक्षसों का बध करने लगीं,

हमें रक्त चाहिए मुंड चाहिए रक्त दो !
शिवा ने अपनी खप्पर भरने लगीं ।।
दृश्य देखकर रक्तबीज घबराया,
माना उसको मौत ने  ही बुलाया।
भगवती  नें उसको मार गिराया,
रक्तबीज रक्त धरा गिर न पाया।।
रक्त आस खप्पर बढ़ाते दिखाया,
चंडी के मुख वह यही कहलवाया।
हमें रक्त चाहिए, हमें रक्त दो?
हमें मुंडे चाहिए, हमें रक्त दो!!
भगवती नें काली को समझाया,
रक्त की प्रयास, आकाश घबराया।
शुम्भ निशुम्भ सेना सहित आया,
शिवा से  जाकर वहीं टकराया??
मुंडे चाहिए, रक्त दो! रक्त चाहिए,
भगवती ने सेना को मार गिराया।
सेना ने रक्त काली खबर में आया,
चंडी रक्त पीने की और  सुनाया??
राक्षसों को भगवती मार गिरातीं,
काली खप्पर वाली लें मां आतीं।
नेत्र अग्नि से दैत्यों को भष्म कीन,
भगवती ने उसको भी मार दीं।।
मां काली- जगदंबा धन्यवाद किया,
पहले भगवती ने निशुम्भ को मारा!
फिर शुम्भ के सिर धड़ से उतारा,
खप्पर रक्त रक्त चाहिए कह पुकारा।।
दृश्य देख भगवती ने शिव पुकारा,
पार्वती और शंकर ने खूब विचार्यो!
शिव शिवा क्रोध शांति करने आए,
लेट धरा पांव दर्शकों को दिखाएं।।
– सुख मंगल सिंह, अवध निवासी 
Email – sukhmangal@gmail.com

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