Thapp Roti Thapp Dal थप्प रोटी थप्प दाल

Thapp Roti Thapp Dal थप्प रोटी थप्प दाल

थप्प रोटी थप्प दाल रेखा जैन NCERT Solutions for Class 4 Hindi Thapp Roti Thapp Dal रिमझिम पाठ10 Class 4 Hindi Thapp Roti Thapp Dal थप्प रोटी थप्प दाल Class 4 Hindi थप्प रोटी थप्प दाल  Thapp Roti Thapp Dal  Chapter 10  Class 4 Hindi with Question and Answers Thapp Roti Thapp Dal थप्प रोटी थप्प दाल थप्प रोटी थप्प दाल की कहानी 

थप्प रोटी थप्प दाल पाठ का सारांश

थप्प रोटी थप्प दाल पाठ या नाटक लेखिका ‘रेखा जैन’ जी के द्वारा रचित है | इस नाटक का संवाद काव्यात्मक है | इसमें सभी पात्रों को रोचक ढंग से चित्रित किया गया है | इस नाटक के अनुसार, जैसे ही पर्दा खुलता है, बच्चे मंच पर खेलते हुए दिखाई देते हैं | बच्चे बहुत उत्साहित हैं | अचानक मुन्नी नीना को पुकारते हुए भागी-भागी वहाँ आती है और नीना से रोटी का खेल खेलने को कहती है | मुन्नी नीना से बोलती है कि उसने अपनी माँ से आटा, घी, दाल, दही, साग, चीनी, मक्खन सभी चीजें ले ली हैं, चलो साथ मिलकर रोटी का खेल खेलें | नीना तैयार हो जाती है और बाकी बच्चे चुन्नू, टिंकू, सरला, तरला को भी खेल में शामिल कर लेती है | 
तत्पश्चात्, बच्चे आपस में काम का बँटवारा कर लेते हैं | चुन्नू-टिंकू को बाजार से साग-सब्जी लाने और दाल पकाने का काम मिलता है | सरला को मट्ठा बनाने का काम मिलता है | तरला मुन्नी के साथ रोटी बनाने का काम अपने जिम्मे में ले लेती है | चुन्नू-टिंकू ने मिलकर बड़ियाँ और दाल पकाई | लड़कियाँ रोटी बनाने का अभिनय करते हुए गाती हैं — “थप्प रोटी थप्प दाल, खाने वाले हो तैयार |” इतना सुनते ही चुन्नू-टिंकू और उसके दोस्त एक पंक्ति में बैठ जाते हैं और गाते हैं — ” लाओ रोटी लाओ दाल, लाओ खूब उड़ाएँ माल |” मुन्नी और तरला लड़कों को रोटी-दाल देने का अभिनय करते हुए गाती हैं –” ले लो रोटी ले लो दाल, चखकर हमें बताओ हाल |” 
थप्प रोटी थप्प दाल
थप्प रोटी थप्प दाल
दाल, रोटी, मट्ठा आदि खाकर सभी बच्चे सोने का अभिनय करते हैं | वे आधा खाना खाते हैं और आधा बचाकर रख लेते हैं | अचानक बिल्ली की म्याऊँ सुनाई पड़ती है | वह चारों ओर देखती है, तो होंठों पर जीभ को फेरकर बड़ी खुश होकर कहती है — ” ओहो ! मक्खन कितना सारा, झट से चटकर करूँ किनारा |” वह आगे बढ़कर ऊपर उछलती है | छींके पर से मक्खन और रोटी लेने का अभिनय करती है | वह रोटी खाकर तुरंत भाग जाती है | ठीक उसी समय सरला जाग जाती है और मक्खन के बर्तन को खाली देखकर चिल्लाती है — ” ओ रे चुन्नू, टिंकू भाई, कहाँ है मक्खन और मलाई ?” सरला की बातों को सुनकर मुन्नी चौंककर उठते हुए कहती है — 
” अरे ज़रा छींके तक जाना, 
  और रोटी का पता लगाना | 
  हाय रे ! 
  ना रोटी, ना दूध मलाई, 
  लगता है बिल्ली ने खाई |” 
तत्पश्चात्, सभी बच्चे मिलकर बिल्ली की खोज में जुट जाते हैं | कुछ अंदर जाते हैं, कुछ बाहर आते हैं | कुछ रंगमंच पर सामने की ओर देखते हैं, कभी बैठकर नीचे झुककर देखने का अभिनय करते हैं | 
तभी सरला-तरला चीखकर कहती हैं — 
” यह लो,  
  मिल गई बिल्ली, 
  मिल गया चोर |” 
तत्पश्चात्, बिल्ली घबराई हुई रंगमंच पर आती है और सभी उसे पकड़ लेते हैं | वे उसे हँसकर मारने का अभिनय करते हैं और बिल्ली से कहते हैं — 
” बोल, अब खाएगी मेरी रोटी, 
  अब खाएगी मेरी दाल ?” 
तब बिल्ली कहती है कि अगर तुम सब लोग ऐसे ही टाँग पसारकर सोओगे, तो मैं जरूर खाऊँगी | यह कहकर बिल्ली भागने का प्रयत्न करती है | पर सब बच्चे उसे घेर लेते हैं | तीन-चार बार ऐसा करने के बाद बिल्ली घेरा छोड़कर भाग जाती है | सारे बच्चे बिल्ली को पकड़ने के लिए उसके पीछे-पीछे दौड़ पड़ते हैं | अंतत: पर्दा गिरता है…|| 


थप्प रोटी थप्प दाल के प्रश्न उत्तर

प्रश्न-1 नीना चुन्नू और टिंकू से ही दाल क्यों बनवाना चाहती होगी ?
उत्तर- स्वाभाविक रूप से सभी लड़कों को खाना बनाना नहीं आता है या बनाते भी हैं तो उनसे कुछ गड़बड़ हो जाया करता है | नीना चुन्नू और टिंकू से ही दाल बनवाकर उन्हें परेशान करना और उनका उपहास करना चाहती थी | 
प्रश्न-2 बच्चों ने खाने-पीने की चीजें छींके में क्यों रखीं ?
उत्तर- बच्चों ने खाने-पीने की चीजें छींके में इसलिए रखीं क्योंकि उन्हें इस बात का डर था कि कोई उसे चुरा न ले या बिल्ली उसे खा न ले | 
प्रश्न-3 चुन्नू ने दाल को पहले खट्टा फिर मीठा क्यों बताया ?
उत्तर- लड़कियों को चिढ़ाने के उद्देश्य से चुन्नू ने दाल को पहले खट्टा फिर मीठा बताया | 
प्रश्न-4 नाटक में बच्चों ने अपनी बात को कई बार कविता की तरह कहा है जैसे — 

टिंकू ने पकाई बड़ियाँ,
चुन्नू ने पकाई दाल
टिंकू की बड़ियाँ जल गई,
चुन्नू का बुरा हाल

अब तुम भी नीचे लिखी पंक्तियों में कुछ जोड़ो — 

घंटी बोली टन-टन-टन
——————————–
कहाँ चले भई कहाँ चले
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रेल चली भई रेल चली
——————————–
कल की छुट्टी परसों इतवार
——————————–
रोटी दाल पकाएँगे
——————————–
उत्तर-  कविता निम्नलिखित है – 
घंटी बोली टन-टन-टन,
हवा चली है सन-सन-सन | 

कहाँ चले भई कहाँ चले,
तुम लेके इतने सारे केले |

रेल चली भई रेल चली,
खा लो तुम भी मूंगफली |

कल की छुट्टी परसों इतवार,
खूब घूमेंगे हम-तुम बाजार | 

रोटी दाल पकाएँगे,
सब मिलके खाएँगे | 
प्रश्न-5 नाटक का नाम थप्प रोटी थप्प दाल क्यों है ?
उत्तर-  नाटक में रोटी और दाल का वर्णन प्रमुखता से हुआ है और बच्चे इसे पकाने का अभिनय भी करते हैं | इसलिए नाटक का नाम थप्प रोटी थप्प दाल है | 
प्रश्न-6 तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे ?
उत्तर- इसका दूसरा शीर्षक ये हो सकता है — ” बिल्ली का आतंक ” | 

थप्प रोटी थप्प दाल पाठ का शब्दार्थ

• अभिनय –     शरीर और भाव-भंगिमा का कलात्मक प्रदर्शन 
• तरकारी –      पका हुआ सब्जी, 
• करारी भूख –  जोर की भूख  
• मट्ठा –           छाछ
• प्रयत्न –        प्रयास, कोशिश 
• भात –          पका हुआ चावल 
• पसारना –      फैलाना | 

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