गोविंद जी के पूजा

गोविन्द पूजन 

गोविन्द की पूजा लोग विविध तरह  से करते हैं | पूजन करना मनुष्य को आवश्यक है | इस लोक पर भाई – बंधु , माता- पिता ,पति -पत्नी सभी अनित्य हैं | पुत्र -आदरणीय भी | जन्मोंपरान्त खड़ी रहती है मृत्यु  जन्म से ही ! छूट जाएगा यह लौकिक जगत के सारे धन -दौलत ,इसे भली भाँति  सोच विचार कर लेना आवश्यक है|जीवन अनमोल है जीवन में भी मानव जीवन कठिन तपस्या का फल है | वृहद सोच विचार कर ‘धर्म ‘का संचय करें | हमें चिंतन करते रहना चाहिए उठते -बैठते , चलते -फिरते ,प्रति क्षण प्रभु गोविन्द का | भगवत्भक्ति सभी को आसानी से सुलभ नहीं होती | भगवत्भक्ति सभी को मुक्ति देने वाली होती | 
कलिकाल में सत्संग ,तुलसी सेवा , भगवान् विष्णु की भक्ति सभी दुर्लभ है और यही संसार में सार है | रसायन है भगवान् गोविन्द का भजन | जो भक्त निष्काम भाव से भगवान्  गोविन्द की पूजा करता है वह अपने इक्कीस पीढ़ियों के साथ वैकुण्ठ धाम जाता है | वैकुण्ठ जाने की लालसा सभी मनुष्य की होती है परन्तु इस धाम में जाने के लिए प्रयत्न ,यत्न की आवश्यकता होती है | परमात्मा जब चाहता है तब सबकुछ दे देता है और जब चाहता है उसे समेट  लेता है|  परन्तु यह सब अदृश्य रहता है जैसे  कच्छप जिस प्रकार जब चाहता है पैर फैलाता है और जब चाहता है बटोर लेता है |
     
कलियुग में गोविन्द पूजन और उन्हें प्राप्त करना आसान है | गोविन्द गोविन्द  भजने से मनुष्य कलिकाल  में भवसागर से पार हो जाता है – 
कलिकाल का तारण
गोविंद नाम का मनन, भजन, चिंतन ! 
गोविंद नाम की महिमा ने गुजरात में नरसी मेहता के सम्पूर्ण कार्य बगैर किसी उद्योग के सिद्ध करा दिये |भगवान मधुसूदन का निवास शालिग्राम शीला में रहता है | जहां शालिग्राम का पूजन होता है वहाँ भूत,प्रेत आदि गृह से लोग वंचित रहते हैं और भूत प्रेत गृह आदि निष्प्रभावी हो जाते है | शालिग्राम शीला का पूजन करने वाले भक्त के चरण रज जहा पड़ते हैं उस घर को पवित्र कर देते हैं | भगवान विष्णु के गोविंद नाम की महिमा अपार है | गोविंद की परिक्रमा चार बार करना फलदायी होती है | पुस्तकों में पुराण ,न्याय ,मीमांसा धर्म शास्त्र तथा छ: अंगों सहित वेद नारायण के स्वरूप हैं |
भक्त्या कुर्वंन्ति ये वैष्णो: प्रदक्षिणचतुष्टयम |
तेsपि यान्ति परं स्थानं सर्वकर्म निवर्हणम || (ना।पु ३९-७१)
गोविंद जी
गोविंद जी
गोविन्द के अनेक नाम हैं यथा – बांके विहारी ,गोवर्धनधारी ,वृन्दावन विहारी ,कान्हां , कृष्णा ,कन्हैया , माखन चोर ,नंदकिशोर आदि नामों में ठाकुर जी को जो नाम सर्वाधिक प्रिय है वह नाम है ‘गोविन्द ‘| भगवत्नाम के प्रभाव से जल में डूबते हुए गजराज को समस्त शोक से छुटकारा मिल गया | भरी सभा में द्रोपदी का वस्त्र बढ़ता ही गया | 
भगवत नाम में समस्त शक्तियां निहित हैं | इसी लिए गोविन्द नाम का उच्चारण समस्त दुःखों का विनाशक है | भगवान् विष्णु के तीन हजार पवित्र नाम हैं (विष्णुसहस्त्रनाम ) जप से एक बार में ही पूर्ण फल मिल जाता है | 
कीर्तन का कलिकाल में पाप का नाश करने के लिए विशेष महत्व है | कीर्तन में हरी की महिमा का गुणगान होता है | हिन्दू शास्त्रों में कीर्तन के महिमा को कलयुग में भारी महिमा का वर्णन किया  गया है | गिरधर गोविंद का नाम कीर्तन प्रति पल करना सर्वोत्म है| नारायण की पूजा करने वालों की सदा -सर्वदा ब्रह्मा आदि देवता भजन पूजन करते रहते हैं | यथा –
अनु पदेनं मदन्ति विश्व ऊमा 😐 (५-२-१ अथर्व वेद ..  )
अर्थात उस ईश्वर को पाकर सारे देवता आनन्दित होते हैं | 

गरुण वाहन युक्त भगवान् नारायण का निरंतर पूजन परम कल्याण की प्राप्ति देने वाला है |भगवान् का मंगलकारी नाम दुःखियों के दुःख का नाश करने वाला होता,रोगियों के रोग हरने वाला और पापियों के पाप का नाश करने वाला  है |अथर्ववेद में कहा गया है | यथा –
तन्नोन्नशद् य : पितरं न वेद | (९-९-२१ अथर्व वेद ..  ) 
अर्थात जो पिता रुपी ईश को नहीं जानता ,उसे ब्रह्मानंद की प्राप्ति नहीं होती है | 
दार्शनिक भी यह मानते हैं – सृष्टिकर्ता जिसे ईश्वर कहता हूँ नहीं होता तो न लिखने के लिए मैं होता ,और यहां न पढ़ने के लिए आप होते | जैसे पुस्तक लेखक का ,कविता -कवि का प्रमाण है | ( सिद्धांत यू इंक लेखक अमेरिका /हसेज )| भारत वर्ष भर कर्म भूमि है ,यहाँ आने के लिए देवता लोग भी लालायित रहते हैं |अतः कर्मभूमि पर एक भी पराल्प क्षण व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए | भगवान विष्णु जो अनंत अविनाशी हैं ,उन्हीं के चिंतन मनन भजन में लगे रहना चाहिए |सुधर्म संवाद )| जितना पूण्य गोविंद नाम से होता है उतना करोणों गायों के दान से ,गंगा स्नान से अथवा अन्य किसी उपाय से भी नहीं मिलता है |
गोविंद गोविंद गाते चलो
प्रभु से नाता मिलाते चलो |

-सुखमंगल सिंह ,
अवध निवासी  

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