तुम भी ना बचे बख्तियार के कहर से

ओ विक्रमशिला अंग के तुम भी ना बचे बख्तियार के कहर से

विक्रमशिला!
अंग प्रदेश के विद्या महाविहार
तुम भी ना बच पाए 
बख्तियार खिलजी के कहर से!
तुझे बिहार बंगाल के भूपाल 
गोपाल के लाल नृप धर्मपाल ने
सात सौ सत्तर से 
आठ सौ दस ईस्वी सन साल में 
भागलपुर के पास बसाए 
पवित्र गंगा के दक्षिणी तट पर 
सुल्तानगंज कहलगांव के 
अन्तीचक ग्राम पहाड़ी के ऊपर!
तुम भी ना बचे बख्तियार के कहर से 
अध्यक्ष थे बुधगुप्त, 
प्रबंधक अतिश श्रीज्ञान दीपंकर
द्वारपंडित उदंतपुर विहार से आए
‘कलिकालसर्वज्ञ’ शान्ति रत्नाकर
मगध के ब्राह्मण सिद्ध वज्रयानी
सबसे बड़े वज्रयान के ज्ञानी!
अतिश दीपंकर श्रीज्ञान 
अंग क्षेत्र के विद्या निधान
जो तिब्बत के बने न्येतांग मठ प्रधान
तिब्बती ‘काग्युदपा’ बौद्ध मत प्रवर्तक
ब्रम स्टन के वे गुरु महान!
अतिश दीपंकर श्रीज्ञान ज्ञान के अवतार 
वे विदेशी आमंत्रण पर गए जावा सुमात्रा तिब्बत 
उन्होंने दो सौ से अधिक दर्शन व तंत्र ग्रंथ रचना की
जिसमें ‘बोधिपथ प्रदीप’ उनकी मुख्य कृति थी!
विक्रमशिला विश्वविद्यालय का कहता खंडहर 
कि वह था सौ एकड़ में विस्तृत, 
जिसमें आठ महापंडित, एक सौ आठ थे पंडित, 
सैकड़ों आचार्य, छः द्वार पंडित!
सहस्त्रों भिक्षु, देश विदेश के हजारों हजार 
छात्र खासकर एशिया के, निःशुल्क ज्ञान पाते, 
धन्य वसुधैव कुटुंबकम् भाव भूमि बिहार!
प्रवेश परीक्षा द्वार पंडित लिया करते थे,
योग्य छात्र यहां व्याकरण, दर्शन, योग, तंत्र
ज्योतिष, आयुर्वेद, विज्ञान आदि पढ़ते थे!
विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्रसिद्ध था
बौद्ध धर्म के तंत्रयान व मंत्रयान ज्ञान में,
चौरासी सिद्धों में कुछ पढ़े थे विक्रमशिला में!
ग्यारह सौ बेरानबे से तिरानबे ईस्वी के मध्य में 
बख्तियार खिलजी ने दोनों विश्वविद्यालय मगध के:
उदंतपुरी, नालंदा महाविहार किया था आग के हवाले
अंततः अंग के विक्रमशिला विश्वविद्यालय को भी 
बख्तियार ने बारह सौ तीन ईस्वी में जला डाले!
पूरे विश्व को अपने बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों से
मुफ्त में ज्ञान बांटनेवाले बिहार में अब भी लाले
ज्ञानपीठ के,दर दर भटकते बिहार के लाल बेहाल
भूल चुके बिहार के ऋण को पूरी दुनिया वाले!
प्राचीन बिहार धर्म दर्शन ज्ञान संस्कृति की आदि भूमि 
बिहार से फैला बौद्ध जैन दो धर्म समता अहिंसावादी!
बिहार मिथिला मगध पाटली से शास्त्रार्थ परंपरा चली
बिहार में अवतरित हुए बौद्ध जैन सिख धर्मगुरु ज्ञानी
बिहार गौतम महावीर गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली
ये बिहार की गाथा आपबीती बिहार सदा से गई छली!
– विनय कुमार विनायक,
दुमका, झारखंड-814101

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