धन व्रत और पूजा विधि Dhan Vrat

धन व्रत और पूजा विधि

धन व्रत और पूजा विधि धन पाने की विधि धन व्रत कैसे करे Dhan Vrat Vidhi Hindi भगवान विष्णु की पूजा आराधना मोक्ष प्राप्ति के हेतु की जाती है ,तो महालक्ष्मी जी की पूजा धन और वैभव की प्राप्ति के लिए। परन्तु मार्ग शीर्ष की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन इस प्रयोजन के लिए किया जाता है भगवान् विष्णु के निमित्त व्रत ,हवन और पूजा। धन व्रत मार्ग शीर्ष की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को किया  जाता है।भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराने और सम्पूर्ण पूजा का विधान तो अन्य अवसरों पर की जाने वाली पूजाओं वाला ही है। लेकिन रात्री को हवन अतिरिक्त रूप से किया जाता है। दोपहर को पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन करा करके उन्हें दक्षिणा आदि देकर विदा कर देते हैं। इस व्रत में जितना अधिक दान किया जाए उतना ही कम है। 
महालक्ष्मी जी
महालक्ष्मी जी
किसी कर्मकांडी विद्वान ब्राह्मण की सहायता से रात्रि को भगवान् विष्णु की मूर्ति सामने रखकर पूर्ण विधि विधान से हवन किया जाता है। भगवान विष्णु के मन्त्र बोलते हुए आहुतियाँ दी जाती है। हवन के बाद दूसरी बार भगवान की आरती उतारी जाती हैं। हवन और पूजा के पश्चात इस मूर्ति को लाल कपड़े में लपेटकर हवन करवाने वाले ब्राह्मण को दे दिया जाता हैं।शास्त्रों का कथन है कि विधिविधान पूर्वक हवन करने से भगवान विष्णु आराधक को धनधान्य और सौभाग्य तो देते ही हैं ,वह मोक्ष का अधिकारी भी बन जाता है। 

भगवान विष्णु का मन्त्र 

भगवान विष्णु की निम्नलिखित मन्त्र का १०८ बार माला से जप करना चाहिए। आप यथाशक्ति इसे अधिक बार भी जप सकते हैं। इस मन्त्र द्वारा भगवान विष्णु का आशीर्वाद निश्चित रूप से प्राप्त होता है। मन्त्र निम्नलिखित है – 
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

भगवान् विष्णु जी की आरती 

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे !!
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का,
सुख-सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का !!
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी,
तुम बिन और न दूजा,आस करूँ मैं जिसकी !!
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी,
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी !!
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता,
मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता !!
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति !!
दीनबंधु दुःखहर्ता, तुम रक्षक मेरे,
करुणा हस्त बढ़ाओ, द्वार पडा तेरे !!
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,
श्रद्धा भक्ति बढाओ, संतन की सेवा !!
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे

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