बीवी से डरना – अकबर बीरबल के किस्से

एक बार बादशाह अकबर, बीरबल के साथ शाम को बाग मे टहल रहे थे। कुछ राजकाज की बातें करते-करते अकबर ने अचानक बीरबल से पूछा, “सुना है कि तुम अपनी बीवी से बहुत डरते हो।” बीरबल को अकबर से इस तरह के सवाल का अंदेशा न था। उसने संभलते हुए कहा, “जी, मैं ही क्या, हमारी सल्तनत का हर आदमी अपनी बीवी से डरता है।” महाराज अकबर ने बीरबल की तरफ टेढ़ी नज़र से देखते हुए कहा, ”तुम अपनी कमज़ोरी छुपाने के लिए सब लोगों पर इल्ज़ाम नहीं लगा सकते।” बीरबल ने कहा, “बादशाह सलामत, मैं जो भी कह रहा हूं, वह एक कड़वी सच्चाई है। कोई मुंह से बोले या न बोले लेकिन हर इन्सान अपनी बीवी से डरता ज़रूर है।” अकबर ने कहा, “क्या तुम यह साबित कर सकते हो?” बीरबल ने झट से हामी भर दी। अपनी आदत के अनुसार महाराज अकबर ने यह हुक्म भी दे डाला कि तुम अगर सात दिन में यह साबित नहीं कर पाए, तो तुम्हारा सिर कलम कर दिया जाएगा।” बीरबल ने चुनौती को स्वीकार करते हुए शहर के सभी पुरुषों की एक जनसभा बुलाने का आदेश जारी करवा दिया।

एक निश्चित तिथि को जब शहर के सब मर्द वहां आ पहुंचे, तो अकबर ने बीरबल को उसका वादा याद करवाया। बीरबल ने भी पूरे विश्वास के साथ अपना काम शुरू कर दिया। बीरबल ने एक-एक कर सभी से पूछना शुरू किया कि क्या वे अपनी बीवी से डरते हैं। अधिकतर लोगों ने कबूल कर लिया कि वे किसी न किसी कारणवश अपनी-अपनी बीवी से डरते हैं। बीरबल ने उन सब लोगों को एक-एक अंडा पकड़ा कर एक तरफ बैठने को कहा।

यह सब देख अकबर भी परेशान हो गए कि यह सब क्या हो रहा है। हमारी फौज का एक से एक बहादुर योद्धा भी अपनी बीवी के सामने भीगी बिल्ली नज़र आ रहा है। बहुत देर बाद एक हट्टे-कट्टे नौजवान की बारी आई और उससे भी यही सवाल पूछा गया। यह नौजवान बाकियों से अलग था। उसने कहा, “बीवी से कैसा डरना, बीवी तो पैर की जूती है। उसकी क्या हिम्मत कि मेरे सामने कुछ भी बोल जाए।” अकबर को थोड़ी तस्सली हुई कि चलो, कोई तो निकला, जिसने इतनी बात कहने की हिम्मत की। जब हर तरीके से उसे परख लिया गया, तो बादशाह ने उसे एक काला घोड़ा इनाम में दिया।

घोड़ा लेकर वह नौजवान खुशी-खुशी अपने घर पहुंचा तो उसकी पत्नी ने हैरान होते हुए पूछा, ” सुबह तो पैदल घक्के खाते हुए गए थे, अब यह घोड़ा किसका उठा लाए हो!” नौजवान ने सारा किस्सा पत्नी को बताया। पत्नी ने कहा, “तुम्हें तो सारी उम्र अक्ल नहीं आ सकती। अगर इतना बड़ा इनाम जीता ही था तो दरबार से सफेद घोड़ा तो लेकर आते – यह क्या काले रंग का घोड़ा उठा कर ले आए हो!” नौजवान ने कहा, “बेगम, तुम चिंता मत करो, आज बादशाह सलामत मुझसे बहुत खुश हैं। यह लो, मैं अभी घोड़ा बदल कर लाता हूं।”

कुछ देर बाद ही वह काला घोडा लेकर वापस दरबार मे पहुंचा और बीरबल से प्रार्थना करने लगा, “मेरी बीवी को यह काला घोड़ा पसंद नहीं है। आप कृपया मुझे सफेद घोड़ा दे दें।” बीरबल ने कहा, “यह घोड़ा उधर बांध दो और यह अंडा लेकर घर जाओ।” बादशाह ने पूछा कि आखिर माजरा क्या है? बीरबल ने कहा कि यह नौजवान पहले तो कह रहा था कि अपनी बीवी से नहीं डरता लेकिन जब बीवी ने काले घोड़े की जगह सफेद घोड़ा लाने को कहा तो वह उसको ना नहीं कर सका।”

बीरबल ने आगे बताया, “जहांपनाह, इसकी बीवी बहुत सुन्दर है। उसको यह क्या, कोई भी आदमी किसी काम के लिए ना नहीं कह सकता।” अकबर ने बीरबल से कहा, “अच्छा, अगर ऐसी बात है तो हम भी ऐसी खूबसूरत औरत को देखना चाहेंगे। तुम किसी तरह से यह इंतज़ाम करवाओ।” बीरबल ने कहा, “जहांपनाह, यह तो कोई मुश्किल काम नहीं है। मैं कल ही उस औरत से आपकी मुलाकात…।” बीरबल की बात को बीच मे ही काटते हुए अकबर बोले, “लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि हमारी बेगम साहिबा को इस बात की भनक भी नही लगे।” बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “जहांपनाह, अब आप अकेले ही बचे थे। अब आप भी यह अंडा पकड़ें।”

बादशाह अकबर के पास अब झेंपने के अलावा कोई चारा नहीं था। वह मान गए कि हर मर्द अपनी बीवी से डरता है।

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