बेरोजगार का दर्द

बेरोजगार का दर्द

बेरोजगारी की भैया पडी है ऐसी मार
बेरोजगार
आज पढा लिखा आदमी बैठा है बेकार
डिग्रियाँ और उपलब्धियाँ नौकरी की मुहताज हैं
नौकरी पाने वाला व्यक्ति यहाँ युवराज है
बेरोजगारी के अँधेरे में नहीं दिखता मुझे कोई उजाला
फॉर्म भरते-भरते निकल गया है मेरा दिवाला
सेल लगी है नौकरी की पैसे वालों का बाजार है
लाइन में लगे हैं करोडों और भर्ती बस हजार है
सुबह-शाम करता हूँ मैं तो बस एक ही बात
अच्छी सी नौकरी अब तो लगे मेरे हाथ 

प्रदूषण की समस्या

प्रदूषण की समस्या होती जा रही है विकराल
अगर समय से न रोका गया इसे बन जायेगी इंसानों का काल
बडी-बडी धुँआ छोडती गाडियाँ
दे रही है फेफडों की बिमारियाँ
कल तक जो गंगा थी स्वच्छ और निर्मल
हमने मिलाकर रसायन प्रदूषित कर दिया है उसका जल
कचरा जो नदियों में डाला जा रहा है
वो जल प्रदूषण फैला रहा है 
हम सब करें संसाधनों का सदुपयोग
प्रदूषण बढता है करने से उनका दुरूपयोग
अपन् स्वार्थ के लिए वनों को काटा जाता है
बिना वृक्षों के पूरा वातावरण दूषित हो जाता है
आओ हम सब मिलकर वृक्ष लगायें
अपने वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनायें

यह रचना विशाल गर्ग जी द्वारा लिखी गयी है.आप खुर्जा, उत्तर प्रदेश से हैं .आपने एम् .कॉम तथा बी.एड तक शिक्षा प्राप्त की है तथा शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं .

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