मन के मीत

मन के मीत

मन के मीत
हर पल ढूंढा प्यारे
दिशा – दिशा कोना कोना
तुझ सा कहीं न मिला
मेरा मन मीत रे।

मन के मीत

किया रोशन जहां मेरा
तो , तिमिर का डर भी
दिखाया तुने कभी- कभी
है कैसी तेरी रीत रे।

जीवन के झंझावातों से
झंकृत-विकृत जिंदगी
फिर भी साहस मिलता
जब गाऊं तेरी गीत रे।

खुशबू का दामन थामे,
बदबू के कुछ झोंके भी आए
सब पर तेरी महक भारी
ये कैसी  तेरी जीत रे।

थकती हारती जब जिंदगी
आ जाता हंसाने तू
करतब तेरी ऐसी प्रभु
मन होता शीत रे।

मन के अंतःस्थल में
झलक तेरी ही मिलती
एक पल ओझल न होते
है तुझसे मेरी प्रीत रे।

हर पल ढूंढा प्यारे
दिशा – दिशा कोना कोना
तुझ सा कहीं न मिला
मेरा मन मीत रे।
     

रेणु रंजन
शिक्षिका, राप्रावि नरगी जगदीश
पत्रालय : सरैया, मुजफ्फरपुर
मो. – 9709576715

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